SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 244
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धोवन लिणिगुम्म योग्य (दे० ) ज ३ | १६७/६ त न (न) उ ११३७ नजय (नयुत) ज २४ नउयंग ( नयुताङ्ग) ज २४ नंद (नन्द) ज २६४३।१८५,२०६ नंदण (नन्दन) उ २२१ नंदणवण ( नन्दनवन) उ५।६, ७,३६३७ नंदा (नन्दा ) उ १ ३०, ३१ नंदि ( नन्दि ) प १५ ५५।१ नंदिघोस ( नन्दिघोष ) ज ३२१७८ नंदिय (नन्दित ) ज ३१५,६,८,१५,१६३१, ५३, ६२,७०,७७,८४,६१.१००, ११४,१४२, १६५, १७३, १८१,१८६,११६.२१३,५।२७ नंदीमुह ( नन्दिमुख) ज २।१२ नंदीसरवर ( नन्दीश्वरवर ) ज २।११६ नखत (नक्षत्र) प १।१३३ २ २३ से २७,४८,५०, ६३ उ २११२ नगर ( नगर ) प १९७४ ज २७१ ३२६,७७, २२२ नगरावास ( नगरावास ) प २२४३ नगरी (नगरी) उ ११११० नग्गभाव (नग्नभाव ) उ ५ ४३ नवंत ( नृत्यत्) ज ३११७८ उ ११३९ नज्ज (ज्ञा ) नज्जइ उ १।५४ नट्ट (नाट्य ) प २१३०, ३१, ४६ ज १४५ नट्टविहि (नाट्यविधि) उ३१७,२१,२५,६२,१५६, १६६; ४/५ नट्ठ ( नष्ट ) ज २।१३३ नती (नत्री) उ३।११४,११५,११६ नतु ( नप्तृ ) ज २२६६२१२२ नतुय ( नप्तृक) उ १।१०६.११०, ११३, ११४; ३।११४ नत्थि ( नास्ति ) प १८१५।१५५; ३६।३३ नदी (नदी) प २१४, १३.१६ से १६,२८; १५।५५।२ Jain Education International नपुंसकलिगसिद्ध (नपुंसकलिङ्गसिद्ध ) प १1१२ नपुंसंग (नपुंसक ) प १३४६ से ५१,६०,७५,७६, ८ १:११।२७ नपुंगवेद (नपुंसकवेद ) प १८१६२ : २३१७५ नपुंगवेद (नपुंसक वेदक ) प ३६७१३।१६ नपुंसय (नपुंसक ) प ६७६ नभ ( नभस् ) ज २२६५ (नमंस ( नमस्य् ) नमसइ ज ११६,५१५८ उ १।१६; ३१८१४ । १३:५।२० नमसंति उ ४।१६,५१३६ नमसीहामि उ ३।२६ नमसेज्ज ज २।६७ नमसमाण (नमस्यत्) उ १११६ नमंसित्ता ( नमस्थित्वा ) ज ११६ उ १३१६६ ३१८१ ४१४५ २० नमिऊण ( नत्वा ) चं ११२ ५५ नय ( नय ) सु १।२५; २१२४१२ उ ११३८, ४०, ४२ नयण (नयन) उ १।१५,३५,३।६८ नयर (नगर) उ १११२,२८,२६.१२१,१२२,३१४, २१, २४, ८६, १५५, १६८, १७१, ४१४,६.७,१३, १५,१८,२८५१२४ से २६, ४३ नयरी (नगरी) चं ६,७,८ सू ११ से ३ उ ११६, १०.१२.१६ ९३,६५६७, ६८, १०५ से १०७, ११०,१११, ११५, १२२, १२५, १२६,१३०. १३२,१४४.१४५,२२४, ५, १६, १७,३१६, ११, २१२७ से २६,४६, ४८, ५०, ५५, ६५, ६६,६६, १००,१११,१५७, १५८, १६६,१७१,५४४, ५, ६, ११,१६,३०, ३३ नर (नर) ज २६५, ७१ नरग (नरक) प २।२२ से २७,२१२७१३,४ उ ११२६ नरच्छाया (नरच्छाया ) प १६१४७ नरय (नरक) प २।२३६।८०१२ १।१४० नरवइ ( नरपति) उ १।१२४, १३१,५।१६ नलिण ( नलिन ) प १।४६, ११४८१४४ ननिहत्थग ( हस्तगतनलिन) ज ३|१० नलिणिशुम्म ( नलिनीगुल्म) उ२।२।१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003573
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_chandrapragnapti
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy