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________________ जिणवरिंद-जीविय ६१५ जिणवरिद (जिणवरेन्द्र) प ११ ज ५१५८ जिणिद (मिनेन्द्र) प ५१४१ जिन्भगार (जिह्वाकार) प १६७ जिभिदिय (जिह्वन्द्रिय) प १५१,२,६,१३,१६, ३० से ३३,४२,५८,६४,६६,७०,८०:२८।४२, जिभिदियपरिणाम (मिनियपरिणाम) प १३।४ जिभिया (जिटिका) ज ४।२४,३६,६६,७४,६०, जिमिय (जिमित) ज ३१८२ उ ४११६ जिय (जित) ज ३११३५१२,१८५,२०६ जियंतय (जीवन्तक) प ११४४।२ जीवंत शाक जियंति (जीवन्ती) प ११४०।४ अन्न, वृक्षों पर रहकर फैलने वाली लता जियनिद्द (जितनिद्र) ज ३।१०६ जियपरीसह (जितपरीषह) ज ३।१०६ जियसत्तु (जितशत्रु) ज ११३ च ८ सू ११३ उ ४१६ जीमूय (जीमूत) प १७१५२३ जीय (जीत) ज २१६०.११३; ३१२६.३६.४७,५६, १३३,१३८,१४५,५।३,२२,२७ जीव (जीव) प १४७१,१।४८१७ से ४३,४५, ४७,४६ से ५१.५५ रो ५६,१८४,१०११२ २१६४,३।११२,३।१,६६ मे ११३.१२३ से १२५.१४१ १४३.१५० से १५२,१७४, १८३,६।१२०,१२३, ६।१२,१६,२५.२६, १०।३१,११।३०,३८.३६,४३.४६,४७.७० मे ७२,८० से ८२,८४,८५,६०;१२।१०।। १४।११ से १५.१७,१८,१६१२.१०,१६. २१,२३:१७।५६ ८४.८६,११२,११३; । १८।१।१,१८:११६५१, २०११,६३, २११८४; २२१७ से १०.१२ से २२.२४ मे २७,२६ से ४०;४२ से ४५,४८ से ५०,५२ से ५६,५८, ५६,६७ से ६६७५ से ८६.८८ से १४,६६, ६.७.१००; २३:१।१.२३।३.५ से ७,६ से ११, १३ से २३,१३४ १३५,१३७ से १३६,१५५, १५७.१६०,१६१,१६४.१६७,१७१,१७६. १६३; २४१२ से ४,६ से ११,१३ से १५%; २५।२,३,५; २६।२से ४,८,९,२७१२,३,६; २८।१०६,१०८,१०६,१११ से ११८,१२० से १२६,१२८ से १३३,१३६ से १४५,२६४, १६,१७,२२,३०१४,१४ से १६,२४,३१११,४; ३२१.६.१ : ३५।६; ३६११११,३६।३०,३२, ३५,४६ से ४८,५२,५६.६२ से ६६,६९,७०,७२, ७३,७४,७७,७८,६४ ज २१६८,७१,५१५,४६, ६।४;७२११,२१२ उ ११६०,६१,३।१४२, १४४; ५।३४ जीव (जीव) जीव ज ३।१२६६२ जीविस्सइ उ१११५ जीवंजीव (जीवंजीव) प ११७८ जीवंजीदग (जीवंजीवक) ज २।१२ जीवंत (जीवत्) उ १११०६,११०,११४ जीवंतय (जीवत्क) उ ११६६,१०३,१३३ जीवधण (जीवधन) प १६४११२३६।६३,६४ जीवणिकाय (जीवनिकाय) प २२११०,७८ ज २०७२ जीवस्थिकाय (जीवास्ति काय) ५३१११४,११५, ११६,१२२ जीवदय (जीवदय) ज ५१२१ जीवपज्जब (जीवपर्यव) प ५१ से ३,१२२ जीवपण्णवणा (जीवप्रज्ञापना) प १११,१० से १५, ४६ से ५२,१३८ जीवपरिणाम (जीवपरिणाम) प १३११,२,२० जीवमाण (जीवत् ) उ १।१५.२१,२२ जीवमिस्सिया (जीवमिश्रिता) प १११३६ जीवलोक (जीवलोक) ज २१६५;३१३१,१२४ जीवा (जीया) ज १२०,२३,४८, ३१२४,४।५५, ६२,८१,९६,६८,१०८,१७२,२६२,२६५,२७१, २७४ सू १११६२।१,१०११४२,१४७:१२।३०; २०११ उ १११३८ जीवाजीवमिस्सिया (जीवाजीवमिथिता) प १११३६ जीवाभिगम (जीवाभिगम) ज ११११,५४६,५१ जीविय (जीति) प ११४८५,४१:२२१६ ज २०७० २११२२,२५,२६,३४,१४०:३१६८,१०१, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003573
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_chandrapragnapti
File Size12 MB
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