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________________ छप्पय-छत्तुं छप्पय (षट्पद) ज २०१२ १०१६३ से ७४:१६।५.६ छन्भंग (षट्भङ्ग) प २८६११६,१२३,१२५,१३३, छायागति (छायागति) प १६१३८,४७ १३६,१४३ से १४५ छायाणुमाणप्पमाण (छायानुमानप्रमाण) सू ६.३ छम्भाग (पभाग) प २१६४ ज १११८६३२।१।। छायाणुवादिणी (छायानुवादिनी) सू ६।४ छमास (पण्मास) सू १:१६ | छायाणुवायगति (छायानुपातमति) ५ १६:३८,४८ छम्मास (पण्मास) ज २१४६७।२३,२५,२८,३०, छायाल (पट्चत्वारिंशत् ) ५ २।४०।४ ज ४।८६ ५७,६० सू १११३,१४,१७,२१,२४,२७,२।३; छायालीस (पट चत्वारिंशत् ) सू१४१७ ६.१,१६।२५,२७ छायाविकंप (छायाविकम्प) सू ६।४ छम्मासावसेसाउय (छामासावशेषायुष्क) छारियभूय (क्षारिक भूत) ज २११३२,१४१ प६११४ छावट्ठ (षट्पष्टि) ज७।२७ छल (षष्) ज ७२०१ सू १२।१२ छावठ्ठि (पटपष्टि) प १८७६ ज १२० छलस (षडस्र) ज ३१६२,११६ सू १।११,१२१३ छलसीय (षडशीति) ज ४।४५७।३१ सू ४।४; छावत्तर (षट्सप्तति) ज ७१ सू१६।११,१११३ १५।२६ छावत्तरि (षट् सप्तति) प २१४०।२।। छल्ली (छल्ली) प ११४८१३० से ३७,६३ छिद (छिद) छिदति ज ५१५७ किमि उ १८८ छवि (छवि) ज २११६,३६,४१,१३३, ३११०६ छिज्ज (छेद्य) 3 ३१११४ छविच्छेय (छविच्छेद) ज २१३६,४१ छिण्ण (छिन्न) ज २१८८,८६३१२२५ छविधर (छविधर) ज ७१७८ छिण्णरहा (छिन्नरुहा) १११४८।३ गुडुची छविहर (छविधर) ज ७१७८ छिद्द (छिद्र) प २११० उ१६५,६६,१०५ छविध (षड्विध) प ६१११८ छिपणलेसा (छिन्नलेश्या) सू ६१ छविय (दे०) प ११६७ कट आदि बनाने वाला छिन्नसोय (छिन्नस्रोतस, छन्नशोक) ज २१६८ छविह (षडविध) प ११६१,६४,६५,६११६ छिप्पतूर (क्षिप्रतूर्य) उ ११३८ १३।६,१५१३५,७०,२११२६,३१,३२,३४,३६, छिया (दे०) ज २०६७ २२।८३,८४,८६;२३१४५,४६; २४।२,४,८, छोइत्ता (क्षुत्वा) ज२४६ १० से १२;२६१२,४,६,८ से १०:२६१६; छोरविरालिया (क्षीर विडालिका) प १७६ ३०।२ ज २।२,३,५०,५८,१२३,१२८,१४८, छोरविराली (क्षीरविदारी) प १४०१४; १५१,१५७,१६४,४।१०१,१७१ ११४८।२ सफेद और अधिक दूध वाली छब्बीस (पविशति) ५२।२३ ज ७।१०८ विदारी सू श२१ छाउद्देस (छायोद्देश) सू ६।२ छुरघरगसंठिय (क्षुरगृहकसं स्थित) सू १०३६ छाउमत्थिय (छाद्मस्थिक) प ३६।५३ से ५६,५८ छुरघरय (क्षुरगृहक) ज ७३१३३११ छाणविच्छ्य (छगणवृश्चिक) प ११५१ छुहा (क्षुधा) प २१६४।१६ छायच्छाय (छायाछाया) सू ६४ छेइत्ता (छित्त्वा) उ ३।१५०५१२८,४१ छाया (छाया) प२।३०,३१,४१,४६१६१४८ छेज्ज (छेद्य) ज ३१३२ ज ११८,२३,३१,२।१६,२०,१४६ ; ३१३,११७।१ छेत्ता (छित्त्वा) ज ७२२ सू १।१६ १२७,५।३२७।१५६ से १६७।१ सू ६१४; छेत्तुं (छेत्तुम् ) ज २१६११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003573
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_chandrapragnapti
File Size12 MB
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