SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 182
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गविय-गाहेत्ता ८६३ गम्विय ( वित) ज ७११:०८ १६७१२,१८०.१८५,२०६.२२१ उ३११०१: गह (ग्रह) प १४१३३; २. मे २७,४८ से ५१, ५१३६ ६३ ज ११२४,७११७७१३,१८०,१८१,१८६, गामकंटय (कामकण्टर) उ ५.४३ १६७ सू १०।१७१ से १५३; १५१,१०,१३; गामणिमण (सामणिद्धमण') प ११८४ १८१४,१८,१६,३७,१३११,५५२,८१२, माममारी (ग्राममारी) ज २१४३ १६।२२१३,८,९,१०,२१.२०,२६,३१, २०१८ गामरोग (ग्राम ) २।४३ गहगण (ग्र ण) 13,१७,२१,३४,१७७,२२२; गाय (गो) ११५४ ७) ५,५८,१८०,१८१.१६७, सू १८।१८ गामाणुगाम (नामानुपाम) उ ११२,१७३।०६,६६, १६२२,२३,२६,२०1९२११२,५१४१ १३२,५१३६ गहण (पइन) ५११४८१५३ से ५५,१११५३,५५, गामि (मामिन) उ १११११,११२ ५७,५६,०१:१८१६५,२२।१५.८० १७१ गाय (गो) प १२४ महणया (ग्रहण) उ१११७ गाय (ब), १७१३४ ज २०१५,१८,३८२, गहत्त (महत्व) उ ३१८३ २११,५१५८ उ ३१५० गहर (दे०) प १७६ गायंत (प्रयत्) ३३१७८ गहदिगा (कहाँ गान) प.१८६ १६४ गारव (और) ३३ ज १७८११,१६१,१६२ मू १८८,११,१५, गारविय (गौरवित) सू २०१६।२ गालण (गालन) ट ११५१,७६ गहाय (गृहीत्वा) प ३६८१ ज ३१८८ उ ११६७; गालित्तए (जापयितुम् ) उ ११५१,७६,७७ ३.५० यालेमाण (गालात) उ ५।२५ गहिऊण (गृहीत्ला) ज ३।२४ गावी (गो) ज २३४ गहित (गृहीत) सू२०१२,६२३३१५५ गाह (ग्राह) प ११५५,५८ गहिय (गहीत) प २०४१११७१,७२ ज ३.१२, गाह ह )माहेहिति) ज २११३४ ७७,८८ १०७,१२४,१७,५.८ उ १।१३८ गाहा (गाथा) प ११४८:२१४०,१५१५५ सू १११७, ३१६३,७०,७३ १६,२५ गहिर (गंभीर) प २८ गाहावइ (गहनि) ज ४।१८१,१,३,१८४,१८६, गा (ग) ज ५१५७ १६५ उ ३.१०,११,१३,२१.१५८,१६०,१६६; गाउय (व्यूत) प:५२१६४:२१।४२,४४,४६, ४१७ से ८,१६,१८ ४३१.२२४८३३१ मे हज २१,४५; गाहा इकुण्ड (गृहपतिकुण्ड), ४५१८२,१६४ ४१८,१०३,११०,१४३,१७८.२०३,२२६; गाहावइणी (गृहपत्नी) उ ४१६ अ६०,१८२ गाहावइदीप (गृहपतिद्वीप) ज ४१८२ गाउयधुहत्तिय (व्यतपथवित्वा) १५ गाहावइरयण (गृहगिरत्न) ज ३३११६,१२०, गागर (दे) प ११.६ ।। १७८,१८६,१८८,२०६,२१०,२१६,२१६, गाल (ब) ज ३।२११११५८ गाम (TH) प ११७४११२८२११६२.६३ गाहावइरयणत (गहपतिरलतः ) ५२००५८ ज श२२.६६७०,१३१:३।१६,३१,३२,८१, गाहेत्ता (ग्राहयित्या) ज २११३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003573
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_chandrapragnapti
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy