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________________ कयमाल-करीर ८७५ कयमाल (कृतमाल) ज २१८, ३७१ से ७४,७६, १६।५०; ३६१८२११३६८५,६२ ज २१६६, ८४ ११७ करेमि ज २।९०३।२६,३६,४७,५६ . कयमालक (कृतमालक) ज ३७१,१५० १३३,१४५ ; ५३२२ उ १।४२ करेमो कयमालय (कृतमालक) ज ११२४,४६, ६.१६ ज ३।११३,११५,१३८,५१३ करेसि उ ३७६ कयर (कतर) ३१४६; १७।१४४ ; २२६१०१, करेस्सामी उ ३१२६ करेह ज २११४,३७, ३६।३८ ज ७।१२६,१७५,१८०,१८१,१६७ १२,२८,४१,४६,५८,६१,६६,७४,१४७,१६८ सू १०।२ से ४,७५,७७,१३३ से १३ करेहि ज ३।१८,१६.३१,५२.६६,६६,१४१, १८१८,१६ १६४,१८० सू३।१०३ करेहिइ उ ३१२१ करेहिति ज २११५१.१५७ उ ३११२६ काहिइ कयलक्खण (कृतलक्षण) उ ११३४ उ११४१३१८६ कीरइ उ ५।४३ कयलोखंभ (कदलीस्तंभ) ज २११५ कर (कर) ज २११५,७१, ३१३,१३८ उ १।१३६ कयलीहर (कदलीगृह) ज ५।१४ करंज (करञ्ज) प ११३५१ कंजा जिसके फल कयलीहरम (कदलीगृहक) ज ५११३ आदि दवा के काम आते हैं कयवर (कचवर) ज २।३६, ५५ करंडग (करण्डक) उ ३३१२८ कयविहब (कृतविभव) उ १२३४ करंडुग (दे०) ज २०१६ कया (कदा) ज ७४१२५ च १४ सू ११६।४;१४११ करंत (कुर्वत्) उ १८८,१२ कयाइ (कदाचित् ) ज ११४७३।४,८३,१०४, करकर (करकर,अकरकरा) प ११४२१२,११४८।४६ १५४,१७२,१८८,२२२,२२६, ४।२२,५४, अकरकरा १०२ उ २१४३१४६,४।२१,५१३ करकरय (करकरक) सू २०१८18 कयाई (कदाचित् ) उ१८ करकरिय (करकरिक) सू २०१८ कर (कृ) अकासी ज २१८४ करवाणि ज ३१३२११ करण (करण) ज १११३८१३२१२६,२०६; करण करिस्सामि ज १६,५१४६ करिस्सामो ५१५; ७११२३ से १२६ ज ५१५,७ करेइ प ७४३६८८ ज १६; करतल (करतल) ज ३१२०६ १६५.६०३३५,६,१२,१८ १६,३१.३२१२, करधाण (करध्मान) ३१३१ ४६.५२,५२ ६१,६२ ६६,७०,८८,६५.१००, करमद्द (करमर्द) प ११३७।४ करौंदा,आंवला १३१,१३७.१४१ १४२,१५६,१६४,१६५, करय (क रक) प ११२३ १८०,१८१.२२४; १२१,२६,४४,४६ ४८ करयल (करतल) ३१५,६,८,१२,१६,२६.३६, सू २११ उ १।१६,३१५१:४।१३ करेंति ४७,५३.५६,६२६४,७०,७२,७७,८४,८८, प १८४, ६।११०.२०१६ से ८३४।१६,२१ ६०,१००,१०५,११४,१२६,१३३,१३८ १४२, से २४ ज ११२२,२७,५०; २।१०.५८,१००, १४५,१५१,१५७ १६५,१८१.१८६,२०५, ११५.११६,११८,१२०,१२३,१२८, ३११३, २०६:५१५७,,२१,४६,५८ उ १११५,३५, २८,४२,४७,५० ५६,६७,७५,६२.११६,१३६. ३६,४५.५५.५७,५८,६१,६२,८०,८२,८३ १४८ १६६.१८४,२११, ४।१०१,१६६.१७१; ८६,८७,६६,१७,१०८,११६,११८,१२२; ५५.७,१४,१६,४६.५७,६०,६६,७४ ३६८,१०६,११४,१३८,१४८,४११५,५।१७ सू २१ उ११६३ करेजा प२०११ से ४,१८, करयलपुर (करतलपुट) ज ५११४,१७,६०६६ ४०,४४,४६,४८ ज ५७, करेति प ११७१ करिय (कृत्वा) ज ५१५८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003573
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_chandrapragnapti
File Size12 MB
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