SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ओगाहणसंठाण-ओय विय ८६७ ७४,७८,८३,८४,८६,८६,६३,६७,१०१,१०२, १०४.१०५,१०७,१११,११५,११६,११७, ११६,१२६,१३१,१३२,१३४,१३६,१३८, १४०,१४३,१४५,१४७,१५०,१५४,१६०, १६३,१६६,१६६,१७२,१७४,१७७,१७९, १८१,१८४,१८७,१६०,१६३,१६७,२००, २०३,२०७,२११,२१४,२१८,२२१,२२४, २२८,२३०,२३२,२३४,२३७,२३६,२४३; १५।१३,२६,३१ ओगाहणसंठाण (अवगाहनासंस्थान ) प १।११६ ओगाहणा (अवगाहना) १७४,८४, २१६४१४, ६ से १५१६६,१३२,१६५,११।७२, १५।१३,२६,३०,३१,५८।२,६५,२१।१।१, २१॥३८,४० से ४२,४८,६३ से ६६,६८ से ७१,७४,८४ से ६४,१०५ उ ३।८३,१२०, १६१,४१२४ ओगाहणाणामणिहत्ताउय (अवगाहनानामनिधत्ता युष्क) प ६।११८ ओगाहणाणामनिहत्ताउय (अवगाहनानामनिधत्ता युष्क) प६।११२ ओगाहणानामनिहनाउय (अवगाहनानामनिधत्ता- युष्क) प६।११६ ओगाहिऊण (अवगाह्य) ज ४।२४० ओगाहित्ता (अवगाह्य) प २२१,२२,२४ से २७, ३० से ३२,४१ से ४३; १५१४३,४५,५२ ज ११४६, ४।२२१; सू ११२२ उ ३१५१ ओगाहेत्ता (अवगाह्य) २।२३,३३,३५,३६ ओगिहित्ता (अवगृह्य) उ ११२,३१२६, ५१२६ ओगुंडिय (अवगुण्डित) २११३३ ओग्गह (अवग्रह) ११२:३१२६,६६,१३२; ५.२६ ओघ (ओघ) ज ५२२ से २४ ओघमेघ (ओधमेघ) २११४१,१४२,१४५; ३१११५.११६,१२२,१२४ ओघसण्णा (ओषसंज्ञा) प ८.१,२,३ ओघस्सर (ओघस्वर) ज ५१५२,५६ ओचूलग (अवचूलक) ज ३११२५,१२६,१७८; ७१७८ ओच्छपण (अवच्छन्न) ज २११२,१३,३।१२१ ओट्ठ (ओष्ठ) प २।३१,३२ ज २१४३,७१७८ उ ३१११४ ओठावलं विणी (ओष्ठावलम्बिनी) प १७११३४ ओणय (अवनत) ज २१६० ओत्थय (अवस्तृत) ज ३।६,१८,६३,१८०,२२२ ओभंजलिया (दे०) १५१ ओभास (अव-भास्) ओभासइ ज ४।२१० चं २११ सू १९६।१ ओभासंति सू०३।१ ओभासति सू ३१२ ओभासें ति ज ७।४६,५८ ओभास (अवभास) ज ११२३,२११२:४।२०१, २१४,२४०,२६४,२७० सू २०१८,२०८१६ ओम (अवम) सू ६३ ओमंथिय (दे० अवमस्तिक) उ १२१५,३५, ३।६८ ओमज्जायण (अव मज्जायन) ज ७१३२११; सू १०११०६ ओमत्त (अनमत्व) १५४४,४५ ओमरत्त (अवमरात्र) सू १२११६,१७११ ओमइत्ता (अवमुच्य) ज २१६५ उ ३।११३ Vओमुय (अव + मुच् ) ओमुयइ ज २१६५,२२४; ५१२१ ३ ३१११३,४१२० ओमोय (दे०) ज ३१६ ओम्मिमालिणी (मिमालिनी) ज ४२११ ओय (ओजस्) चं ।२ सू १।६।२;६।१;६३ ओयमि (ओजस्विन) ज ३७७,१०६ 1 ओधर (अब ' त) ओयरइ उ १६७ ओयव (द०) ओयवेइ ज ३११७५ ओयवेहि ज ३१७६,१२८,१५१,१७० ओयवण (दे०, साधन, स्वायत्तीकरण) ज ३।१२६;४११७७ ओयविता (दे० अधीनीकृत्य) ज ३१७१ ओयविय (दे० परिकर्मित) प २।३१ ज ४.१३ स् २०१५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003573
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_chandrapragnapti
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy