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________________ आलोइय-आसय आलोय (आलोचित ) उ २११२३३११५०,१६१; ५१२८,३१,४१ आलोय (आलोकभूत) ज ३११६,१६० आलोय (आलोक ) ज ३६,१२,१८,७७,८८, ६३, १५, १५, १७, १८०,२२२५४३४६ आलोय (आलोच्) आलोएहि उ ३३११५ ४।२२ आवकहिय ( यावत्कथिक ) १।१२५ / आवज्ज ( आ + पद्) आवज्जंति प ११/७२ आवड ( आवर्त) ज ५३२ आवडिय (आपतित ) ज ५।२५ आवण ( आपण ) ज ३५३२ आवणहि (आपणगृह) ज ३।१६७४२ आवत (आवतं ) प ११६३३१३४५२३, २५. ३७,४२,७१,७७,९४,१६८ से १११.२६२ ७।५५१६।२२११०,११११।२३ 1 आवत्तकूड (आयकूट) ज ४१६२ आवत्तम] ( आवर्तक) ज ३।१०६ आवरण (आवरण) ज ३१३५,११८,१६७९,१७८ आवरिता (आवृत्य ) सू २०१२ ( आवरिस (आ+ वृष्) आवरिसेज्जा ज ५७ आवरेत्ता ( आवृत्य ) सू २०/२ आवरमाण (आवृन्यत्) सू २०१३ आवलि ( आवलि) ज ५१२८ आवलिया (आवलिका ) प १२/२७ १८१३, २७ ज २४ चं ५।१ सू १ ||१८११ २०१५ आवलियाणिवात ( आवलिका निपात ) सू १०।१ / आवस (आ | वस् ) आवसामि उ३।११८ आवसह (आवसथ) ज ३३१६,३१,३२१२,५३,६२, ७०,१४२, ११५,१८१ आवसित्ता ( ओस्य ) ज ३१२२५ आवस्सग (आवश्यक) उ ३१३१ आवाग (आपाक ) प २३१३ से २३ आवाड (आपात ) ज ३।१०३ से १०५, १०७ से ११५,१२५ से १२७ Jain Education International आवास (आवास) प १५५५।३ ज ३।१८,५२,६१, ६६,७७,८४,१४१,१५२,१६४, १६७१३,१८० ८४७ उ ५४४१ आषिद्ध (आविद्ध) ज ३१६,७७, १०७, १०६, १२४, २२२५।५६ उ १११३८ आविकंठ (विकण्ठ) ज २०२०९ आवकम् (आविष्कर्मन् ) ज २०७१ आवेदिय ( आवेष्टित ) प १५३५१ आस (अश्व ) प २१४०११० १११२१ ज २३५ ३१८,१६७ ४,१७८, १७६,२२१३७।१३, १८६।२१।१४,१५,२१,१२१.१२६,१३२, १३६,१३७ आस (आय) प २०४०११० आस (आस) आणि १४७ आसकरण ( अश्वकर्ण ) प १८६ स ंधसंहिय ( अश्वस्कन्धसंस्थित) सू २०१३४. सबंध (अश्वस्कन्ध) ज४२१७८ आसखंधग (अश्वस्कन्धक) ज ७।१३३।१ आसग (आस्यक ) उ ११८६,६० आसण ( आसन ) प १११२५ ज ८६, १०, १२, ६३, ३, ५५,५६,६४,७२,१०३, ११२,११३, १४४, १४५ ५२२,७,२०,२१ २०२४ उ ३।१०१,१३४ आसत ( आसक्त ) प २३०,३१,४१ ज २१७,३०, ३५,८८ आसस्थ (आव्यस्त ) उ ११२४, १२ आसार (अश्वधर) ० २३०१७९ आसपुरा ( अश्वपुर) ४२१२२ आसन (आश्रम ) प १।७४ २१२२१३१ ३१८,३१,२२,१००१०५२०१३३।५५,१०१ आसमुह (अल्यमुख) प शब्६ आसव (आस्यक) उ ११६१,६२,०६,८७ आस (आस) आसयंति ज १११३,३०,३३,३६; २७ ४१२,६४,८७,१०४, १७२, १८५,१६१. ११७,२००, २०१,२०६२१४,२३४,२४०, २४१,२४७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003573
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Chandapannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_chandrapragnapti
File Size12 MB
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