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________________ ६।२० रोहियकूड-लयाबहुल १०२६ रोहियकूड (रोहितकूट) ज ४७९ लक्खणसंवच्छर (लक्षणसंवत्सर) ज ७१०३,११२ रोहियदीव (रोहितद्वी7) ज ४१६८,६६ सू १०११२५,१२६ रोहियप्पवायकुंड (रोहितप्रातकुंड) ज ४१६७,६८, । लक्खणसहस्सधारक (लक्षणसहस्रधारक) ज ३।१२६।१ रोहियमच्छ (रोहितमत्स्य) ? ११५६ लक्खारस (नाक्षारस) प १७११२६ रोहिया (रोहिता) ज ४१६५ से ६७,७१,७२,२६८; लख (लक्ष) ज ३।३१ लच्छिकड़ (लक्ष्मीकूट) ज ४।२७५ रोहीडय (रोहितक) उ ५।२४ से २६ लच्छिमई (लक्ष्मीमती) जह? लच्छी (लक्ष्मी ) ज ३११८,६३,१८० उ ४१२११ लज्जिय (लज्जित) ज २१६० उ०५८,८३ लउड (लकुट) ज ३१११ लठ्ठ (लष्ट) ज ११३७,२।१५, ३१६,३५,११७, लउय (नकुच) प ११३६।३ २२२,४।१२८,२४३,७११७८ लउल (लकुट) ज ३११७८ लउस (लकुश) प ८६ लठ्ठदंत (लष्टदंत) १८६ लउसिया (कुशिकी) ज ३११११२ लठ्ठि (यष्टि) ज २०१५ लेख (लख) ज २१६४,३।१८५ लग्गिाह (यष्टिग्राह) ज ३११७८ लंघण (लङ्घन) ज ३३१०६,१७८; १५,७१७८ ।। लडह (दे०) ज २०१५ लंतग (लान्तक) २१४६.५५,६३, ६।३२,५६, लव्ह (श्लक्षण) ५२१३०,३१,४१,४६,५६.६३,६४ ६५:७।१३,१५३८८,२११७०३३।१६,३४।१६, ज १८,२३,३१,४११ १८ ज ५४६ लता (लता) प ११३३१ लंतगवडेंसय (लान्तकावतंसक) २५५ लद्ध (लब्ध) ज ३१२६,३६,४७,१०३,११७,१२२, लंतय (लान्तक) र १११३५२२५५,५६, ३।३४, १२६,१३३,१८५,२०६ उ १११७.५७,८२,६६, १८३; ४१२४६ से २४८; २०१६१; २८१८० १०७,१२७,३।१३,२६,३८,८५,१२२.१४७. उ २१२२ १६०४।११,२५,५११५,२३,३१,३८,४२ लंबिय (लम्बित) ज ७१७८ लट्ठ (लब्धार्थ) सू २०१७ लंबूसग (लम्सा ) ज ५१३८,६७ लद्धि (लब्धि) प ११४६:१५१५८1१,१५१६२ लंभ (लभ) लभंनिज ३१३५ लिब्भ (लभ) लभइ ज ७१४३ लंभणमच्छ (लम्भनम स्य) प ११५६ लिभ (लम्) लभइ ज ७।१५१ लभति गु १०।५ लक्ख (लक्ष) १८११ ज ३।१०३ लभज्जा प २०१७,१८,२२२५,२८,२९,३४, लक्खण (लक्षण) २४८५५,२६४११२ ३८,३६,४१ से ४३,४५,४६ से ५२,५४,५५, ज २११४,१५,१६,३१३,३५,७७,१०६,१३८, १६७।१२,७११७८ च २।४ सू ११६:४१६॥२, लय (लता) ७१७८ ४,६ उ ११३४ लया (लता) प ११३६ ज २।११,६७,१३१,१४४ लक्खणधर (लक्षणधर) ज २१५ मे १४६,३।१०६ उ ११२३,५१५ लक्खणधारि (लक्षणधारिन् ) ज २११५ लयाबहुल (लताबहुल) ज १११८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003572
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages617
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size12 MB
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