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________________ जिणवरद-जीविय जिणवरद ( जिणवरेन्द्र ) प १११११ ज ५५८ जिणंद ( जिनेन्द्र ) प ५१४१ जिन्मगार (जिलाकार ) प ११६७ जिभिदिय ( जिह्न ेन्द्रिय) १५१,२,६,१३,१६, ३० से ३३,४२,५८,६४,६६, ७०, ८०: २८/४२, ४५,४६.७१३१३३ जिभिदियपरिणाम (ह्निपिरिणाम ) प १३४ जिमिया (जिह्निका ) ज ४१२४,३६,६६,७४, १०, ६१ जिमिथ ( जिमित ) ज ३१८२ उ४।१६ जिय ( जित) ज ३११३५१२,१८५,२०६ जियंतय (जीवन्तक) प ११४४१२ जीवंत शाक जियंति (जीवन्ती ) प ११४००४ अन्य वृक्षों पर रहकर फैलने वाली लता जिर्यानिद्द ( जितनिद्र ) ज ३४१०६ जयपरीसह ( जितपषह ) ज ३।१०६ जिसत्तु ( जितशत्रु ) ज १३ च ८ सू ११३ उ ४१६ जीमूय ( जीमूत) प १७।५२३ जीव ( जीत ) ज २२६०.११३३१२६,३६,४७,५६, १३३,१३८, १४५, ५१३,२२,२७ जीव (जीव ) प १।४७११, ११४८१७ से ४३,४५, ४७, ४० से ५१,५५ से ५६, ११८४,१०१।२; २३६४, ३।११२, ३११,६६ से ११३,१२३ से १२५,१४१ से १४३.१५० से १५२.१७४, १८३,६ । १२०, १२३, ६११२,१६,२५.२६; १० ३१,११।३०, ३८.३६, ४३.४६, ४७,७० मे ७२,८० से ८२,८४,८५,६०,१२।१० ; १४|११ से १५.१७.१८,१६१२.१०,१६. २१,२३,१७१६८४.८६, ११२,११३; १८११११, १८११,१६६१; २०११,६३; २११८४; २२७ से १०.१२ से २२.२४ से २७,२६ से ४०,४२ से ४५,४८ से ५०,५२ से ५६,५८, ५६,६७ से ६६,७५ से ६५ से ६४,६६, ६७.१००; २३५१।१.२३।३.५ से ७,६ से ११, १३ से २३,१३४ १३५,१३७ से १३६, १५५, १५७.१६०,१६१,१६४.१६७, १७१,१७६. Jain Education International ६१५ १९३, २४१२ से ४, ६ से ११, १३ से १५ ; २५/२, ३, ५, २६।२ से ४, ८, ६,२७१२, ३, ६; २८।१०६, १०८, १०६,१११ से ११८,१२० से १२६,१२८ से १३३, १३६ से १४५, २६/४, १६, १७, २२,३०२४,१४ से १६, २४, ३१११,४; ३२३१,६११ : ३५/६; ३६११।१,३६।३०, ३२, ३५,४६ से ४८, ५२, ५६, ६२ से ६६, ६९, ७०, ७२ ७३, ७४, ७७, ७८, ६४ ज २२६८, ७१,५१५,४६; ६/४७१२११,२१२ उ ११६०,६१,३/१४२, १४४; ५।३४ / जीव (जीव ) जीव ज ३।१२६१२ जीविस्सइ उ १११५ जीवंजीव ( जीवंजीव ) प १७८ जीवंजोग (जीवजीवक) ज २०१२ जीवंत ( जीवत् ) उ १११०६,११०,११४ जीवंत ( जीवत्क ) उ ११६६,१०३,१३३ जीवण ( जीवधन ) प २२६४१२३६॥६३,६४ जीवणिकाय ( जीवनिकाय) प २२३१०,७८ ज २७२ जीवत्थिकाय (जीवास्तिकाय ) प ३।११४, ११५, ११६,१२२ जीवदय ( जीवदय ) ज ५।२१ जीवपज्जव ( जीवपर्यव ) प ५१ से ३,१२२ जीवपण्णवणा ( जीवप्रज्ञापना ) प १११,१० से १५, ४६ से ५२,१३८ जीव परिणाम ( जीवपरिणाम ) प १३११,२,२० जीवमाण (जीवत् ) उ १।१५,२१,२२ जीवमिस्सिया ( जीवमिश्रिता ) प ११1३६ जीवलोक ( जीवलोक) ज २६५; ३१३१,१२४ जीवा (जीव) ज ११२०, २३, ४८ ३ २४; ४|५५, ६२,८१,८६,६८,१०८,१७२,२६२,२६५, २७१, २७४ १।१६:२।१६ १०११४२, १४७:१२/३० ; २०११ ११३८ जीवाजीवमिस्सिया ( जीवाजीवमिश्रिता ) प ११३३६ जीवाभिगम ( जीवाभिगम ) ज ११११ ; ५/४६,५१ जीवि (जीवित) प ११४८५,४१,२२२६ ज २२७० ११२२,२५,२६,३४, १४०३६८, १०१. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003572
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages617
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size12 MB
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