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________________ २३२ पण्णवणासुत्त १२६. तेउलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामएससरुहिरे इ वा उरभरुहिरे इ वा वराहरुहिरे इ वा संबररुहिरे' इ वा मणुस्सरुहिरे इ वा बालिंदगोये इ वा वाल दिवागरे इ वा संझब्भरागे इ वा गुंजद्धरागे इ वा जाइहिंगुलए' इ वा पवालंकुरे इ वा लक्खारसे इ वा लोहियक्रमणी इ वा किमिरागकंबले इ वा गयतालुए इ वा चीणपिट्ठरासी इ वा पालियायकुसुमे इ वा जासुमणकुसुमे इ वा किंसुयपुप्फरासी इ वा रत्तुप्पले इ वा रत्तासोगे इ वा रत्तकणवीरए इ वा रत्तबंधुजीवए इ वा, भवेयारूवा? गोयमा ! णो इणठे समझें, तेउलेस्सा णं एत्तो इटुतरिया चेव कंततरिया चेव पियतरिया चेव मणुण्णतरिया चेव मणामतरिया चेव वण्णणं पण्णत्ता ।। १२७. पम्हलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णत्ता? गोयमा ! से जहाणामएचंपे इ वा चंपछल्ली इ वा चंपभेदे इ वा हलिद्दा इ वा हालिद्दगुलिया इ वा हालिट्टाभेदे इ वा हरियाले इ वा हरियालगुलिया इ वा हरियाल भेदे इ वा चिउरे इ वा चिउररागे इ वा सुवण्णसिप्पी इ वा वरकणगणिहसे इ वा वरपुरिसवसणे इ वा अल्लइकुसुमे इ वा चंपयकुसुमे इ वा कणियारकुसुमे इ वा कुहंडियाकुसुमे इ वा सुवण्णजहिया इ वा सुहिरणियाकुसुमे इ वा कोरेंटमल्लदामे' इ वा पीयासोगे इ वा पीयकणवीरए इ वा पीयबंधुजीवए इ वा, भवेतारूवा ? गोयमा ! णो इणठे समठे, पम्हलेस्सा णं एत्तो इट्टतरिया चेव' 'कंततरिया चेव पियतरिया केव मणुण्णतरिया चेव मणामतरिया चेव वण्णेणं पण्णत्ता !! १२८. सुक्कलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामएअंके इ वा संखे इ वा चंदे इ वा कुंदे इ वा दगे इ वा दगरए इ वा दही इ वा दहिघणे इवा खीरे इ वा खीरपुरे इ वा सूक्कछिवाडिया इ वा पेहमिजिया इ वा धंत-धोयरुप्पपटटे इ वा सारइयवलाहए" इ वा कुमुददले इ वा पोंडरियदले इ वा सालिपिट्ठरासी इ वा कुडगपुप्फरासी इ वा सिंदुवारवरमल्लदामे इ वा सेयासोए इवा सेयकणवीरे इ वा सेयबंधुजीवए इ वा, भवेतारुवा ? गोयमा ! णो इणठे समठे, सुक्कलेस्सा णं एत्तो इट्टतरिया चेव कंततरिया चेव पियतरिया चेव मणुण्णतरिया चेव मणामतरिया चेव वण्णेणं पण्णत्ता ।। १२६. एयाओ णं भंते ! छल्लेस्साओ कतिसु वण्णेसु साहिज्जंति ? गोयमा ! पंचसु वण्णेस साहिज्जति, तं जहा-कण्हलेसा कालएणं वणेणं साहिज्जति, णीललेस्सा णीलएणं वणेणं साहिज्जति, काउलेस्सा काललोहिएणं वपणेणं साहिज्जति, तेउलेस्सा लोहिएणं वण्णेणं साहिज्जइ, पम्हलेस्सा हालिद्दएणं वणेणं साहिज्जइ, सुक्कलेस्सा सुक्किल एणं वण्णेणं साहिज्जइ ।। १. ४ (ख)। २. इंदगोपे वालेंदगोपे (ग)। ३. "हिंगुलुए (क, पु)। ४. पालियाकुसुमे (ख), पारिजाय (ग)! ५. सं० पा०-इदुतरिया चेव जाव मणाम- तरिया। ६. कोरंट (क); कोरिट' (ग)। ७. सं० पा०–इटुतरिया चेव जाव मणाम तरिया। ८. दधी (क,घ)। १. दधि (ख,घ) । १०. सारय (क); °बलाहते (घ)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003571
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages745
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size14 MB
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