SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 384
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सद्दह-समचउरंस ७४६ १६३. रा०१३ से १५,३२,४०,१३२,१३५, सपज्जवसित [सपर्यवसित] जी० १।२४,३१,६८, १७३,२०६,२११,२८२,६५७,६७२,६८५, ६६,८१,१२५,१७४,२०२ ७१०,७३२,७३७,७५१,७५५,७७१,७७४. सपज्जवसिय [सपर्यवसित] जी० ६।११,१३,१६, जी० ३.११८,११६.२६५,२७५,२८५,२८६, २३,२५,२६,३१,३३,३४,५८,६०,६४,६८,६६, २६८,३०५,३६०,३७२,४४६,४४८,५७८, ७१,७२,८६,११०,१२५,१३३,१४६,१६४, ६३६.६४६,६६०,८५७,८६३,६०५,६७७, १६५,१७९,२०२,२०६ ६८२,१११७,१११८,११२४,११२५ सपडिफम्म [सप्रतिकर्मन् ] ओ० ३२ सिद्दह श्रित्+धा] -सदहामि. रा० ६६५. सप्पि [सर्पिस् ] ओ० ६२,६३ -सदहाहि. रा० ७५१..-.-सदहेज्जा. रा० ७५० सप्पियासव [सपिराश्रव] ओ० २४ सदहमाण [श्रद्धान] जी० ११ सफल [सफल] ओ०७१ सद्दाल' [दे० जी० ३१११२२ सबरी [शबरी ओ० ७०. रा०८०४ सभा [सभा] रा०७,१२ से १४,२०६,२१०,२३५ सद्दाव [शब्दय]—सद्दावेइ. ओ०५८. रा०६. से २३७,२५०,२५१,२७६,३५१,३५६,३५७, -~- सहावेंति. ओ० ११७. रा० २७८, जी० ३७६,३९४,३६५,६५६,६५७. जी. ३१३७२, ३१४४४. - सदावेति. रा० १३. जी. ३१५५४ ३७३,३६७ से ३९६,४११,४१२,४२६,४४२, सद्दावति [शब्दापातिन् ] जी० ३१७६५ ५१६,५२१,५२२,५२४,५२५,५५६,५५७, सद्दावाति | शब्दापातिन् । रा० २७६. जी० ३।४४५ सद्दाविय [शब्दायित, शब्दित] रा० ७२ १०२४,१०२५ सहावेत्ता [शब्दयित्वा ] ओ० ५८. रा० ६. सभाव [स्वभाव ] जी० ३१५६७ जी० ३४४४ सम [सम] ओ० १६,२६,५६,१७१,१९२. रा० ७०,७५,७६,८०,११२,१३३,१७३ १७४,७७२. सदिय [शब्दित] ओ०२ जी० ३५२,११८,११६,२८५,२८६,३०३, सबदल (शार्दल] ओ०१६. जी०३५६६ सद्ध [श्राद्ध जी० ३।६१४ ३६२,३८७,५८६, ५६६,५६७,७०५,७२४, सद्धि [सार्द्धम् ] ओ० १५. रा० ७. जी० ३३२३६ ७२७,७३२,७८४,७८७,७९७,८११,८२२, सन्नद्ध [सन्नद्ध] जी० ३१५६२ ८४६,६१०,६११,६१८,६६८,११२२ सन्निकास (सन्निकाश | रा० १३३. जी० ३१३१२ सम [श्रम रा० ७२६.१३१,७३२ सन्निविखत्त (सन्निक्षिप्त] जी० ३१४४२ समकंत [समतिक्रान्त] ओ० ४७ सन्निखित्त सन्निक्षिप्त ] रा० २२५,२७० समइच्छमाण समतिक्रामत् ] ओ०६६ सन्निगास [ सन्निकाश] रा० ३८,१६० २२२,२५६ समइय [सामयिक ] ओ० १७३,१७४,१८२. जी० सन्निभ सन्निभ] ओ० १६. जी० ३१५९६ सन्तिविट्ट सन्ति विष्ट रा० ३२,६६,१३८,२०६, समंता [समन्तात् ] ओ० ३. रा०६. जी०३१४४ २११. जी. ३.७५६। समक्खाय [समाख्यात] जी० ३।१६७ से १६६ सन्निवेस [सन्निवेश] जी० ३६०६,८४१ समग्ग [ समग्र] ओ०६८ सन्निवेसमारी सन्निवेशमारी जी० ३१६२८ समचउरंस [समचतुरस्र ] ओ० ८२. जी० २१११६, सन्निसन्न [सन्निषण्ण] रा० १७३ १३६ ; ३३५६८,१०६१,१०६२ १. नूपुर, किंकिणी। १. हे० ४११६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003568
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy