SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 372
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वियाणित्ता-विसय विवच्चास विपर्यास रा० ७६७,७६८,७७६, वियाणित्ता [विज्ञाय] ओ०१४६. रा०८१० वियाणिय | विज्ञात ] ओ०७० वियालचारि | विकालचारिन् । ओ० १४८,१४६. रा० ८०६.८१० विरइय विरचित] ओ०६,६३. जी० ३१२७५ विरचिय ! विरक्ति | रा०६६,७० विरत [विरत | ओ० ४६ विरय [विरत | श्रो० १६२ विरल्लिय | विरल्लित] जी० ३२५६१ विरसाहार | विरसाहार ओ० ३५ विरहित विहिन जी० ३।७६१,८४४ विरहिय विहित ] ओ० ३७. जी. ३१८४७ विराइय [विगजित ] ओ० १४,४७,५७,७२. E09०,६७१. जी० ३१५६७,११२१ विरागया | विलगता ओ० ४६ विरायंत (विराजत् । ओ० २१,५४,५७. रा०८, विवणि [विपणि ओ०१. जी० ३.६०७ विवर विवर| रा० ७५४ से ७५७,७६३ विवागविजय | विशाकविचय औ० ४३ विवागसुयधर विपायाश्रुतधर | ओ० ४५ विवाह [विवाह | जी० ३३६३१ विवाहपण्णत्तिधर | व्याख्याप्रज्ञप्निधर | ओ० ४५ विवित्तसयणासणसेवणया विविक्तणनासन सेवनता ओ० ३७ विविध विविध जी० ३।३०२,३८७,५८८,५६४ विविह विविध | ओ० १,४६,५१,११७. रा०२०, ४०,१३२,१३७,२२८,७६६. जी०६२६५, २८८,३०७,३११,५८६.५८७,५८६ से ५६३, ५६५,६७२ विवेग | विवेक ] ओ०४३,७९ से ८१ विवेगारिह { विवेकाह] ओ० ३६ विस । विषरा० ७६१,७६४,७६५ विसज्जित [विजित रा०६८५ विसज्जिय विजित ] ओ० २१. रा०६८० ६६६,७००,७०२,७१० विसप्पमाण | त्।ि ओ० २०,२१,५३,५४, ५६,६२,६३ ७८,८०,८१. रा०८,१०,१२, से १४.१६ से १८,४७,६०,६२,६३,७२,७४, २७७,२७६,२८१,२६०,६५५,६८१,६८३, ६६०,६६५,७००,७०७,७१०,७१३,७१४, ७१६,७१८,७२५,७२६,७७४,७७८, जी० ३।४४३,४४५,८४७,५५५,५६७ विसभक्खियम | विषक्षितक ओ०६० विसम | विषम | ओ. १७१. जी० ३१६२३,७०५, ७६७,८११,८२२,८४६ विसय विशद रा० १३३. जी० ३१३०३,५६२, विरायमाण | विराजमान] ओ० १ विराहय [ विसाधक ] १० ६२ विरिय | वीर्य] जी० ३१५६२ विरुद्ध विरुद्ध | ओ० ६३ विस्वरूव । विरूपरूप] रा० ८१६ विलंबिय बिलम्बित • १०३.२८१. जी० ३.४४७ विलवणया विलपनता | ओ० ४३ क्लिविय | विलपित ] ओ० ४६ विलसिय विलासित ओ०१६ विलास विलाय ओ० १५. रा० ७०,६७२, ८०६.८१०. जी० ३४५६७ विलासित विलाशित जी० ३ ५९६ विलोण विलीन जी० ३१८४ विलेवजलिपन ओ०६३,१६१,१६३,१७० विलेवणविहि वि पनविधि ] १० १४६. रा० ८०६ विव [इव | ओ० १६. रा० १३३. जी० ३३१११ विसय विषय ] ओ० २३,३७. रा० १५. जी० ३१९७६,९७७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003568
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy