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________________ ६१८ बुज्झ-भंत २६२,७७७,७७८,७८८. जी० ३१४५७ बोहि [बोधि ] ओ० १५१. रा०८१२ बोहिदय [वोधिदय रा० ८,२६२. जी० ३।४५७ बोहिय [बोधित ] ओ० १६ बुज्झ दे०|--- बुज्झइ. ओ० १७७.---बुझंति. ओ० ७२. जी० १११३३.--बुझिहिति. ओ० १६६.- वृज्झिहिति. ओ० १५४. स० ८१२ Vबुज्न बुध् ] -बुझिहिति. ओ० १५१ बुझिहित्ता [बुद्ध्वा | ओ० १५१ बुद्ध [बुद्ध] ओ० १६,२१,५४.१९५।२०. रा०८, २६२. जी० ३४५७ सुद्धबोहियसिद्ध [बुद्धबोधितसिद्ध | जी० १८ बुद्धि बुद्धि | रा० ६७५ बुब्बुय (बुबुद] ओ० २३ बुह | बुध] ओ० ५० बूि [ब्र]--दूया. रा० ७३२ बर बर ओ० १३. रा०७३२. जी. ३।२८४, २६७,३११,४०७ बेइंदिय द्वीन्द्रिय] जी० ११८३,८४,८७,८८, १२८,२।१०१,१०३,११२,१२१,१३१,१३६, । १३८.१४६,१४६ ३३१३०,१३६,१६६% ४११,४,८,१२,१६,२०,२१,२३,२५; ११, ३.५; १।१,३,५,७,२६४ बॅट [वन्त] जी० ३११७४ बॅटट्ठाइ [वृन्तस्थायिन् ] रा० ६.१२ बंदिय [द्वीन्द्रिय ] जी० ४११७, ६।१६७,१६६, २२१,२२३,२६४ बेयाहिय [द्वयाहिक जी० ३१६२८ बेलंव [बेलम्ब] जी० ३१७२४ बेला बेला जी० ३१७३३ बोंड [दे०जी० ३।५६६ बोंदि [दे० ] ओ० ४७,७२,१६५।१,२. रा० ७७२ बौद्धन्व | बोद्धव्य] ओ० १६५४५,६. ___जी० ३.१२६।१० बोधव बोद्धव्य ] जी० ११६६ बोषिय [बोधित ] जी० ३।५६६,५९७ बोल [दे०] ओ० ४६,४६,५२. रा० १५,६८७, ६८८. जी० ३।६२७,८४२,८४५ बोय बोधक ] ओ० १६,२१,२२,५४. रा. ८, भइ [भृति रा० ७८७,७८८ भइणो भगिनी] जी० ३।६११ भइय [ भक्त्र] ओ० १६५।१५ भइय | भृतिक ] रा ० १२ भंगुर [भङ्गुर ओ० १६. जी. ३१५६६,५६७ भंजिज्जमाण [भज्यमान रा० ३० भंड [भाण्ड] ओ० ४६,११७. रा० ३०,१५२, २६६,२६८,२८४,४७५,५३५,७७४,७६६. जी० ३१२८३,३२५,४२६,४३२,४५०,५३४, ५४१,११२८,११३० भंग (दे० ओ० ५६ भंग्यिालिछ [भण्डिकालिञ्छ] जी० ३।११८ भंत भदन्त ओ० ६६,७६,८४ से ६५,११४, ११७,११८,१५५,१५७ से १६०,१६२,१६७, १६६ से १७२,१५४,१७५,१७७,१८१,१८४ से १६२. रा० १०,५८,६२,६३,६५,१२१ से १२४,१७३,१९७ से २००,६६५ से ६६७, ६६५,७००,७०२ से ७०४,७१८,७२०,७३६, ७३८,७४७,७४८,७५० से ७५४,७५६,७५८ से ७६१,७६२,७६४ से ७६७,७७०,७७२ से ७७५,७७७,७८२ से ७८५,७८७,७६८,८१७. जी० श१५ से ३३,४१ से ४६,५१ से ५४, ५६,५६ से ६२,६४,७४,७६,८२,८५ से ८७, १०,६३ से १६,१०१,११६,१२७,१२८,१३० से १३४,१३७ से १४३; २१२० से २४,२६ से ३०,३२ से ३६,३६,४६,४८,४६,५४,५७ से ६३,६६,६८ से ७४,७६,८२ से ८४,८६.८८, १२,९५ से १८,१०७ से १०६,१११,११३, ११४,११६ से ११६,१२२ से १२६,१३३ से १५० ३१३ से १,११ से २०,२४ से ३५,३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003568
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size8 MB
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