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________________ २६८ भगवई हंता गोमा हत्थी कुंथू अप्पकम्मतराए चेव कुंथुश्रो वा हत्थी महाकम्मतराए चेव, हत्थी कुंथू अप्पकिरियतराए चेव कुंथूनो वा हत्थी महाकिरियतराए चेव, हत्थी कुंथू अप्पासवतराए चेव कुंथुप्रो वा हत्थी महासवतराए चेव, एवं आहार- नीहार- उस्सास- नीसास- इड्ढि - महज्जुइ एहि हत्थीओ कुंथू अप्पतराए व कुंथू वा हत्थी महातराए चेव || १५. से केणट्टे भंते ! एवं बुच्चइ - हत्थिस्स य कुंथुस्स य समे चैव जीवे ? गोमा ! से जहानामए कूडागारसाला सिया - दुहस्रो लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा निवाया निवायगंभीरा । ग्रहणं केइ पुरिसे जोई व दीवं व गहाय तं कूडागारसालं अंतो-तो अणुपविस, तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समंता धणनिचिय- निरंतर निच्छिड्डाई दुवार वयणाई पिहेति, तीसे कूडागारसालाए बहुमज्भसभाए तं पवं पलीवेज्जा । तसे पईवे तं कूडागारसाल अंतो-तो प्रोभासइ उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव णं बाहि । ग्रहणं से पुरिसे तं पवं इड्डरएणं पिज्जा, तए णं से पईवे तं इड्डरयं संतो तो प्रोभासेइ उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव णं इडुरगस्स बाहि, नो चेव णं कूडागारसालं, नो चेव णं कूडागारसालाए वाहि । एवं - गोकिलिजेणं पच्छियापिडएणं गंडमाणियाए प्राढणं श्रद्धाढएणं पत्थएणं अद्धपत्थएणं कुलवेणं अद्धकुलवेणं चाउ भाइयाए भाइयाए सोलसियाए बत्तीसियाए चउसट्टियाए । अह गं पुरिसे तं पवं दीवचंपणं पिज्जा । तए गं से पदीवे दीवचंपगस्स तो-तो ओभासति उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव णं दीवचंपगस्स बाहि, नो चेव णं चउसट्टियाए वाहि, नो चेव णं कूडागारसाल, नो चेव णं कूडागार - सालाए वाहि । एवामेव गोयमा ! जोवे वि जं जारिसयं पुव्वकम्मनिवद्धं बोंदि निव्वत्तेइ तं असंखेज्जेहिं जीवपदेसेहिं सचित्तीकरेइ - खुड्डियं वा महालियं वा ।° से तेणट्टेणं गोयमा' ! एवं बुच्चइ - हत्थिस्स य कुंथुस्स य° समे चेव जीवे ' ॥ सुह- दुक्ख पदं Jain Education International १६०. नेरइयाणं भंते! पावे कम्मे जे य कडे, जे य कज्जइ, जे य कज्जिस्सइ सव्वे से दुक्खे, जे निज्जिपणे से सुहे ? १. सं० पा० गोयमा जाव समे । २. एतच्च सर्वमपि वाचनान्तरे साक्षाल्लिखितमेव दृश्यते (वृ) । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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