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________________ २१८ गोयमा ! अत्थेगइए मावज्जेज्जा | भगवई विणिहायमावज्जेज्जा, प्रत्येगइए नो विणिहाय से णं भंते ! उदगावत्तं वा उदगबिंदु वा प्रोगाहेज्जा ? हंता गाज्जा | से गं भंते ! तत्थ परियावज्जेज्जा ? गोयमा ! अत्थेrइए परियावज्जेज्जा, ग्रत्थेगइए नो परियावज्जेज्जा ॥ o परमाणु - खंधाणं सग्रड्ढ समज्भादि-पदं १६०. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सग्रड्ढे समज्झे सपएसे ? उदाहु ग्रणड्ढे ग्रमज्भे अपए से गोमा ! णड्ढे अमज्भे श्रपसे, नो सअड्ढे नो समझे नो सपएसे || १६१. दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे कि सग्रड्ढे समज्भे सपए से ? उदाहु श्रणड्ढे श्रमज्झे एसे ? गोयमा ! सप्रड्ढे अमज्झे सपएसे, नो प्रणड्ढे नो समज्झे तो अपएसे || १६२. तिप्पएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा । गोमा ! गड्ढे समज्झे सपएसे, नो सग्रड्ढे नो श्रमज्झे नो अपएसे || १६३. जहा दुप्पएसियो तहा जे समा ते भाणियव्वा, जे विसमा ते जहा तिप्पएसिश्रो तहा भाणियव्वा ॥ Jain Education International १६४. संखेज्जपएसिए णं भंते ! खंधे कि सग्रड्ढे ? पुच्छा | गोमा ! सिय सड्ढे अमज्भे सपएसे, सिय प्रणड्ढे समज्झे सपएसे । जहा संखेज्जपएसिश्रो तहा असंखेज्जपएसियो वि, अणतपएसियो वि ॥ परमाणु-खंधारणं परोप्परं फुसरणा-पदं १६५. परमाणुपोगले णं भंते ! परमाणुपोग्गलं फुलमाणे कि १. देसेणं देस फुसइ २. देसेहिं देसे फुसइ ३. देसेणं सव्वं फुसइ ४. देसे हिंदेसे फुसइ ५. देसेहिं देसे फुसइ ६. देसेहि सव्वं फुसइ ७ सव्वेणं देस फुसइ ८. सव्वेणं देसे फुसइ . सव्वेणं सव्वं फुसइ ? १. सद्धे (ब) 1 २. उआहु (ब) । ३. (१) देशेन देशम् गोयमा ! १. नो देसेणं देतं फुसइ २. नो देसेणं देसे फुसइ ३. नो देसेणं सव्वं फुसइ ४. नो देहि देस फुसइ ५. नो देसेहिं देसे फुसइ ६. नो देसेहि सव्वं (२) देशेन देशान् (३) देशेन सर्वम् (४) देश: देशम् (५) देश: देशान् (६) देशैः सर्वम् (७) सर्वेशा देसम् । For Private & Personal Use Only (८) सर्वेण देशान् ( ९ ) सर्वेण सर्वम् । www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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