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________________ पंचमं सतं (ट्ठो उद्देसो) कयविक्कए किरिया-पदं १२८. गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किणमाणस्स केइ भंडं अवहरेज्जा, तस्स णं भंते ! 'भंडं अणुगवेसमाणस्स' किं प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? पारिगहिया' किरिया कज्जइ ? मायावत्तिया किरिया कज्जइ ? अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ? मिच्छादसणवत्तिया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! प्रारंभिया किरिया कज्जइ, पारिग्गहिया किरिया कज्जइ, मायावत्तिया किरिया कज्जइ, अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ, मिच्छादसणकिरिया सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ। अह से भंडे अभिसमण्णागए भवइ, तनो से पच्छा सव्वाओ तानो पयणुई भवंति ।। १२९. गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किण माणस्स कइए' भंडं साइज्जेजा, भंडे य से अणुवणीए सिया! गाहावइस्स णं भंते ! तानो भंडासो किं नारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव' मिच्छादसणकिरिया कज्जइ ? कइयस्स वा तानो भंडाओ कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादंसणकिरिया कज्जइ? गोयमा ! गाहावइस्स तायो भंडाप्रो आरंभिया किरिया कज्जइ 'जाव' अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ! मिच्छादसणकिरिया' सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ । कइयस्स णं ताओ सव्वाग्रो पयणुईभवंति ।। १३०. गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किणमाणस्स' 'कइए भंडं साइज्जेजा, भंडे से उवणीए सिया। कइयस्स णं भंते ! तानो भंडानो कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादसणकिरिया कज्जइ? गाहावइस्स वा तायो भंडायो कि आरंभिया किरिया कज्जइ जाव मिच्छादसण किरिया कज्जइ ? गोयमा ! कइयस्स तारो भंडारो हेछिल्लायो चत्तारि किरियाओ कज्जति । मिच्छादसणकिरिया भयणाए । गाहावइस्स णं तानो सव्यानो पयणुई भवंति । १. तं भंडयं गवेस (ब, म)। २. परि° (अ, स)। ३. कतिए (क, ता, ब, म, स)। ४. भ० ५।१२८ । ५. भ० ५।१२८ । ६. जाव अपच्चक्खाण मिच्छादसणवत्तिया० (अ, स); जाव मिच्छादसणवत्तिया० (क, ता, म); जाव मिच्छादसण (ब)। ७. सं० पा०-विक्किणमाणस्स जाव भंडे । 5. भ० ५५१२८ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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