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________________ १६ पाठों के स्थान पर भी 'जाव' पद लिखा हुआ मिलता है। इस प्रकार के पाठ-संक्षेप लिपिकारों द्वारा समय-समय पर किए हुए प्रतीत होते हैं। वर्तमान में प्रस्तुत आगम की मुख्य दो वाचनाएं मिलती हैं—संक्षिप्त और विस्तृत । संक्षिप्त वाचना का ग्रन्थ परिमाण १५७५१ अनुष्टुप् श्लोक परिमाण माना जाता है। विस्तृत वाचना का ग्रन्थ परिमाण सवा लाख अनुष्टुप् श्लोक माना जाता है। अभयदेवसूरि ने संक्षिप्त वाचना को ही आधार मानकर प्रस्तुत आगम की वृत्ति लिखी है। हमने इस पाठ संपादन में 'जाव' आदि पदों द्वारा समर्पित पाठों की यथावश्यक पूर्ति की है। उससे इसका ग्रन्थ परिमाण १९२१९ अनुष्टुप् श्लोक, १६ अक्षर अधिक हो गया है ! Jain Education International ११४६ १।२२४ १।२२४ १।२३७ १२३१ ११२४५ ११२७३ ११२७६ ११२६१ ११२८१ ११२६८२ १।३१५ ૫૪ १।३५७ १।३५७ १.३६३ १।३६४ १।३६५ १३७० १।३७१ १।३७१ १।३७१ १।३८५ शब्दान्तर और रूपान्तर निगम नियम अप्पिया अप्पिता एते सिं तेतेसि वइ० वइ० मायो पोत कज्जइ पाणाइवाय नेरइयाणं उभोगे अहे करेज्ज दुहिए दुगंधे आरिय चउ पाओसिया सय संधिज्ज माणे निसिट्टे काइयाए पाणाइवाय० वति० ववि० माओ० पोदतं किज्जइ पाणायवाय नेरतियाणं ओवओगे अधे करिज्ज करेज्जा दुसिए दुगंधे यारिय चतु पायोसिया सत संधेज्जमाणे निसट्टे कातियाए पाणायवाय० For Private & Personal Use Only (ar) (ता) (क) (क, ता, म) (ता) (ता) (ar) (क, ता, ब, भ, स ) (बस) (स) ( अ, ब, स ) (ता) (18) (क) (स) (क, ता, म) (अ. म, स) (क, ता) (ता) (अ. ब) (212) (arr) (क, ता) (112) ( व, स ) www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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