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________________ आवश्यक की विधि [123 अठारह पापस्थान कहे, फिर खड़े होकर 'तस्स धम्मस्स' का पाठ कह कर पूर्ववत् दो बार 'इच्छामि खमासमणो' का पाठ कहे। फिर दोनों घुटने नमा कर, घुटनों के ऊपर दोनों हाथ जोड़ कर मस्तक को नीचा नमा कर, एक नवकार मन्त्र कह कर, पांच पदों की वंदना कहे / फिर नीचे बैठ कर अनन्त चोवीस, आयरिउ वज्झाए ढाई द्वीप, चौरासी लाख जीवयोनि, कुल कोडी का पाठ, खामेमि सव्वे जीवा, अठारह पापस्थानक कहे / फिर पांचवें आवश्यक की आज्ञा ले / पांचवें प्रावश्यक में प्रायश्चित्त का पाठ, एक नवकार, करेमि भंते, इच्छामि ठामि, तस्स उत्तरी की पाटी बोल कर काउस्सग्ग में लोगस्स का ध्यान करे (देवसिय-राइसिय प्रतिक्रमण में चार, पक्खी प्रतिक्रमण में आठ, चौमासी प्रतिक्रमण में बारह और सांवत्सरिक प्रतिक्रमण में बीस लोगस्स का काउस्सग्ग करना चाहिये)। 'नमो अरिहंताणं' कह कर काउस्सग्ग पारे / फिर एक लोगस्स प्रकट कह कर दो बार 'इच्छामि खमासमणो' बोले / फिर छठे आवश्यक की आज्ञा ले / छठे आवश्यक में खड़े होकर साधुजी महाराज से अपनी शक्ति अनुसार पच्चक्खाण ग्रहण करे / यदि साधुजी महाराज न हों, तो ज्येष्ठ श्रावक से पच्चक्खाण ग्रहण करे / यदि वे भी नहीं हों, तो स्वयमेव दश प्रत्याख्यानों में से यथाशक्ति स्वीकार करे / फिर दो नमोत्थुणं का पाठ पढ़ कर उत्तर तथा पूर्व दिशा में मुख कर सीमन्धर स्वामी, महावीर स्वामी तथा मुनिराजों को वन्दना करे / बाद में सभी को अन्तःकरण से खमावे तथा चौवीसी आदि स्तवन बोले। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003496
Book TitleAgam 28 Mool 01 Avashyak Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Mahasati Suprabha
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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