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________________ चोहरामं अज्झायण : तेयलिपुत्ते जम्बूस्वामी का प्रश्न १-जइ णं भंते ! ममणेणं भगवया महावीरेणं तेरसमस्स नायज्झयणस्स अयमठे पण्णत्ते, चोद्दसमस्स णायज्झयणस्स ममणेणं भगवया महावीरेणं के अट्ठे पन्नत्ते? जम्बूस्वामी श्री समर्मास्वामी से प्रश्न करते हैं-'भगवन् ! यदि श्रमण भगवान् महावीर ने तेरहवें ज्ञात-अध्ययन का ह (पूर्वोक्त) अर्थ कहा है, तो चौदहवें ज्ञात-अध्ययन का श्रमण भगवान् महावीर ने क्या अर्थ कहा ? सुधर्मास्वामी का उत्तर 2- 'एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं तेयलिपुरे णामं णयरे होत्था। तस्स णं तेयलिपुरस्स बहिया उत्तरपत्थिमे दिसीभाए एत्थ णं पमयवणे णामं उज्जाणे होत्था। श्री सुधर्मास्वामी तर देते हैं - हे जम्बू! उस काल और उस समय में तेतलिपुर नामक नगर था / उस तेतलिपुर भार से बाहर उत्तरपूर्व-ईशान-दिशा में प्रमदवन नामक उद्यान था। तेतलीपुत्र अमात्य ३–तत्थ णं तेर्या नारे णयरे कणगरहे णामं राया होत्था। तस्स णं कणगरहस्स रणो पउमावई णामं देवी होया। तस्स गं कणगरहस्स रण्णो तेयलिपुत्ते णामं अमच्चे होत्था साम-दंडभेय-उवप्पयाण-नीति-सुपउन-नयविहिण्णू / उस तेतलिपुर नगर में कनकरथ नामक राजा था / कनकरथ राजा की पद्मावती नामक देवी (रानी) थी / कनकरथ राम के अमात्य का नाम तेतलिपुत्र था, जो साम, दाम, भेद और दंड-इन चारों नीतियों का प्रयोग -ने में निष्णात था / 4- तत्थ णं तेर्यालपुरे कलादे नामं मूसियारदारए होत्था, अड्ढे जाव अपरिभूए। तस्स णं भद्दा नाम भारिया होत्या / तस्स णं कलायस्स मूसियारदारयस्स धूया भद्दाए अत्तया पोट्टिला नाम दारिया होत्था, रूवेण य जारवणेण य लावणेण य उक्किट्ठा उक्किदूसरीरा। तेतलिपुर नगर में षिकारदारक नामक एक कलाद (स्वर्णकार) था। वह धनाढय था और किसी से पराभूत होने वाला नहीं था। उसकी पत्नी का नाम भद्रा था / उस कलाद मूषिकारदारक की पुत्री और भद्रा की आत्मजा (उदरजात) पोट्टिला नाम की लड़की थी / वह रूप, यौवन और लावण्य से उत्कृष्ट और शहर से भी उत्कृष्ट थी। विवेचन-कलाद का अर्थ स्वर्णकार (सुनार) है / यहाँ जिस कलाद का उल्लेख किया गया है उसके पिता का नाम 'मूषिकार' था। पिता के नाम पर ही उसे 'मूषिकारदारक' संज्ञा प्रदान की गई है। आगमों में अन्यत्र मो इस प्रकार की शैली अपनाई गई है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003474
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages660
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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