________________ समर्पण जिन पूर्वज महापुरुषों के असीम उपकार के लोकोत्तर क्षण से समा स्थानकवासी बैन समाज सदैव ऋणी रहेगा, जिनको उठा तपश्चर्या और ज्ञानगरिमा से जन-जन भलीभाँति परिचित है, जिनशासन को महिमा-द्धि के लिए जिन्होंने अनेकानेक उपसर्ग सहन किय, जिनकी प्रशस्य शिष्य-परम्परा आज भी शासन को शोभा को वद्धिंगत कर रही हैं, उन इतिहास-पुरूष परममहनीय महषि, आचार्यवर्य श्री जीवराजजी महाराज की पावन स्मृति में सादर सविनय समति समर्पित / -मधुकर मुनि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org