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________________ श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमणसंघ के आचार्य राष्ट्रसंत महान् मनीषि आचार्य श्री आनन्द ऋषि जी महाराज का अभिमत आगम आत्मविद्या के अक्षयकोष हैं। भगवान महावीर की वाणी के प्रतिनिधिरूप में वे हमे आज भी आत्मविद्या, तत्वज्ञान, जीव-विज्ञान आदि ज्ञान-विज्ञान के विविध पहलुओं का सम्यक् बोध कराने में सक्षम हैं। आगमों की भाषा अर्धमागधी है, उसका अध्ययन-अनुशीलन करने के लिये अर्धमागधी-प्राकृत का ज्ञान भी आवश्यक है। प्राकृतभाषा से अनभिज्ञ जन सहज-सुबोध ढंग से आगम का हार्द समझ सके, इस दृष्टिकोण से जैन मनीषियों ने समय-समय पर लोकभाषा में आगमों का अनुवाद-विवेचन करने का महनीय प्रयत्न किया है / आगम महोदधि के गहन अभ्यासी स्व. पूज्यपाद श्री अमोलकऋषिजी म. सा. ने बत्तीस आगमों का हिन्दी में सुबोध अनुवाद करके एक ऐतिहासिक कार्य किया था, आज वह आगमसाहित्य भी दुर्लभ हो गया है। श्रमणसंघ के युवाचार्य आगम-रहस्यवेत्ता श्री मधुकर मुनि जी म. सा० ने आगमों का हिन्दी अनुवाद, विवेचन कर जनसामान्य को सुलभ करने का एक प्रसंशनीय संकल्प किया है। जो श्रमण-संघ के लिए तो गौरव का विषय है ही, भारतीय-विद्यारसिक समस्त जनों के लिए प्रमोद का कारण है। आगमग्रन्थमाला का प्रथम मणि आचारांग-सूत्र (प्रथम श्रतस्कंध) प्रकाशित हो चुका है। इसका मार्गदर्शन व प्रधान नियोजकत्व यूवाचार्य श्री जी का ही है। अनुवाद-विवेचन श्री श्रीचन्दजी सुराणा 'सरस' ने किया है। आचारांग का अवलोकन करने पर लगा, अब-तक के प्रकाशित आचारांग के संस्करणों में यह संस्करण अपना अलग ही महत्व रखता है। भावानुलक्षी अनुवाद, संक्षिप्त विवेचन, तथ्ययुक्त पाद टिप्पण, प्राचीनतम नियुक्ति व चूणि आदि के साक्ष्यनुसार विशेषार्थ, परिशिष्ट में शब्दसूची; "जाव" शब्द के पूरक पाठ सूत्रों की संसूचना, सब मिलाकर सर्वसाधारण से लेकर विद्वानों तक के लिये यह संग्रहणीय, पठनीय संस्करण है। मैं हृदय से कामना करता हूँ कि आगमों के आगामी संस्करण इससे भी बढ़कर महत्वपूर्ण व उपयोगी होंगे। —आचार्य आनन्दऋषि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003469
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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