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________________ 'उपधान-श्रत' नवम अध्ययन . .. प्राथमिक प्राचारांग सूत्र के नवम अध्यन का नाम 'उपधान श्रत' है / " - उपधान का सामान्य अर्थ होता है--शय्या आदि पर सुख से सोने के लिए सिर के नीचे (पास में) सहारे के लिए रखा जाने वाला साधन-तकिया / परन्तु यह द्रव्य-उपधा है। ae भाव: उपधान ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप है, जिनसे चारित्र् परिणत भाव को सुर क्षित रखने के लिए सहारा मिलता है / इनसे साधक को अनन्त सुख-शान्ति एवं आनन्द की अनुभूति होती है, / इसलिए ये ही साधक के शाश्वत सुखदायक उपधान हैं।' उपधान का अर्थ उपधनन भी किया जा सकता है। जैसे मलिन वस्त्र जल आदि द्रव्यों से धोकर शुद्ध किया जाता है, वहाँ जल प्रादि द्रव्य द्रव्य-उपधान होते हैं, वैसे हो आत्मा पर लगे हुए कर्म मैल बाह्य-ग्राभ्यन्तर तप से धुल जाते-नष्ट हो जाते हैं। प्रात्मा शुद्ध हो जाती है। अतः कर्म-मलिनता को दूर करने के लिए यहाँ भाव-उपधान का अर्थ 'तप' है। ge उपधान के साथ श्रुत शब्द जुड़ा हुआ है, जिसका अर्थ होता है-सुना हुया ।इसलिए "उपधान-श्रुत' अध्ययन का विशेष अर्थ हा—जिसमें दीर्घतपस्वी भगवान महावीर के तपोनिष्ठ ज्ञान-दर्शन-चारित्र-पाधनारूप उपधानमय जोवन का उनके श्रीमुख से सुना हुअा वर्णन हो। . इसमें भगवान महावीर की दीक्षा से लेकर निर्वाण तक की मुख्य जीवन-घटनाग्नों का उल्लेख है। भगवान ने यों साधना की, वीतराग हुए. धर्मोपदेश (देशना) दिया और अन्त में 'अभिणिबुडे' अर्थात् निर्वाण प्राप्त किया। इन्हें पढ़ते समय ऐसा लगता है कि आर्य सुधर्मा ने भगवान महावीर के साधना-काल की प्रत्यक्ष-दृष्ट विवरणी (रिपोर्ट या डायरी) प्रस्तुत की है। 1. (क) आचासंग नियुक्ति गा० 282, (ख) प्राचा. शीला टीका पत्रांक 297 2. (क) जह खलु मइल वत्थं सुज्झइ उदगाइएहि दन्वेहि / एवं भावुवहारलेण सुज्झए कम्मट्ठविह -प्राचा० नियुक्ति गा० 283 (ख) प्राचा० शीला टीका पत्रांक 297 / 3. आचारांग नियुक्ति गा० 276, (ख) आचा० शीला• टीका पत्रांक 216 4. जैन साहित्य का वृहद् इतिहास भा० 1, पृ. 108 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003469
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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