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________________ चालीसवाँ शतक : उद्देशक - १] ४. सव्वाणि वि एक्कासीतिं महाजुम्मसताणि । ॥ अवांतर महाजुम्मसता समत्ता ॥ ॥ चत्तालीसतिमं सयं समत्तं ॥ ४० ॥ [ ७२७ [४] सभी मिला कर महायुग्म-सम्बन्धी ८१ शतक सम्पूर्ण हुए। विवेचन — शुक्ललेश्यी अभव्य की स्थिति — अभव्य संज्ञी पंचेन्द्रिय की शुक्ललेश्या की स्थिति अन्तर्मुहूर्त-अधिक इकतीस सागरोपम की कही है, वह पूर्वभव के अन्तिम अन्तर्मुहूर्त-सहित नौवें ग्रेवेयक की ३१ सागरोपम की उत्कृष्ट स्थिति की अपेक्षा जाननी चाहिए, क्योंकि अभव्य जीव उत्कृष्ट नौवें ग्रेवेयक तक जाता है तथा वहाँ शुक्ललेश्या होती है । ८१ महायुग्मशतक — पैंतीसवें से उनचालीसवें शतक तक प्रत्येक के १२-१२ अवान्तर शतक हैं तथा इस चालीसवें शतक के कुल २१ अवान्तरशतक हैं, इस प्रकार कुल शतक ६०+२१ ८१ हुए । ॥ चालीसवाँ शतक : अवान्तरमहायुग्मशतक समाप्त ॥ ॥ चालीसवाँ शतक सम्पूर्ण ॥ ****
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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