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________________ पन्द्रहवाँ शतक ५२५. पहले के अर्वाचीन तीर्थंकरों के अन्तर काल में करोड़ों सागरोपम व्यतीत हो जाते हैं, जबकि यह महापद्म राजा तो बारहवें देवलोक की बाईस सागरोपम की स्थिति पूर्ण करके होगा, ऐसा मूलपाठ में उल्लेख है। इसलिए इसके साथ महापद्म की संगति बैठनी कठिन है। किन्तु वृत्तिकार ने दूसरी तरह से इसकी संगति इस प्रकार बिठाई है-बाईस सागरोपम की स्थिति के पश्चात् जो तीर्थंकर उत्सर्पिणी काल में होगा, उसका नाम 'विमल' होगा—ऐसा संभावित है। क्योंकि एक ही नाम के अनेक महापुरुष होते हैं। कठिन शब्दों के अर्थ-विज्झगिरिपायमूले—विन्ध्याचल की तलहटी में । पच्चायाहिति–उत्पन्न होगा। दारए—बालक। भारग्गसो—भार प्रमाण। पुरुष जिनता बोझ उठा सके, उसे अथवा १२० पलप्रमाण वजन को 'भार' या भारक कहते हैं । यही भार-प्रमाण है। कुंभग्गसो—अनेक कुम्भ-प्रमाण । कुम्भ प्रमाण तीन भेद हैं—जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट । ६० आढक प्रमाण का जघन्य कुम्भ, ८० आढक प्रमाण का मध्यम कुम्भ और १०० आढक प्रमाण का उत्कृष्ट कुम्भ होता है। पउमवासे—पद्मवर्षा । सेणाकम्मंसैनिक कर्म। संखतल-विमल-सणिक्कासे : दो रूप : दो अर्थ—(१) शंख-दल-शंखखण्ड, (२) शंखतल के समान विमल-निर्मल। समुप्पजिस्सइ–समुत्पन्न होगा। अभिजाहिति, णिज्जाहिति—आएगा और जाएगा, आवागमन करेगा। विप्पडिवजिहिति—विपरीतता अपनाएगा। आओसेहिति—आक्रोश-वचन कहेगा, झिड़केगा। अवहसिहिति—हंसी उड़ाएगा। निच्छोडेहिति—पृथक् करेगा। निब्भच्छेहिति—भर्त्सना करेगा—दुर्वचन बोलेगा। णिरुंभेहिति—निरोध करेगा—रोकेगा। पमारेहिइ—मारना प्रारम्भ करेगा। उद्दवेहिति–उपद्रव करेगा।आच्छिंदिहिइ–थोड़ा छेदन करेगा। विच्छिदिहिति—विशेष रूप से या विविध प्रकार से छेदन करेगा। भिंदिहिति—तोड़-फोड़ करेगा। अवहरिहिति—अपहरण करेगा, उछाल देगा। णिनगरे करेहिति–नगरनिर्वासन करेगा। निव्विसए करेहिति—देश-निकाला दे देगा। विण्णवित्तएविनति करें। विरमंतु—रुके, बन्द करें। पउप्पए प्रपौत्रशिष्य—शिष्य सन्तान। रहचरियं-रथचर्या । आयावेमाणं-आतापना लेते हुए। रहसिरेणं-रथ के सिरे से। णोल्लावेहिति—गिरा देगा। पभुणासमर्थ होते हुए। तितिक्खियं तितिक्षा की। सहयं घोड़े सहित। सरहं—रथसहित। ससारहियं— सारथिसहित। राज्य और राष्ट्र में अन्तर—प्राचीन काल में राजा, मन्त्री, राष्ट्र, कोष, दुर्ग (किला), बल (सेना) और मित्रवर्ग, इन सात को राज्य कहा जाता था और जनपद अर्थात्-राज्य के एक देश को राष्ट्र, किन्तु वर्तमान काल की भौगोलिक व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक प्रान्त को राज्य (State) कहा जाता है, और कई प्रान्त मिल १. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ६९१ २. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ६९१ (ख) भगवती. (हिन्दीविवेचन) भा. ५, पृ. २४७६ से २४८६
SR No.003444
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages840
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size16 MB
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