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________________ इन्द्रभूति गौतम की देन-केवल श्रुत-संपदा के रूप में ही नहीं, किंतु चारित्रिक सद्गुणों की एक सजीवमूर्ति के रूप में भी है । इन्द्रभूति का व्यक्तित्व इतना विराट और बहुमुखी है कि वह ज्ञान एवं चारित्र की सुन्दर तथा सर्वांगीण व्याख्या कहा जा सकता है । ज्ञान एवं विनम्रता, उदग्र तपःसाधना एवं उदार क्षमा, उच्चतम सन्मान तथा स्नेहिल मधुर हृदय, ऐसा दुर्लभ संयोग है जो गौतम के व्यक्तित्व में मणिकांचन की तरह सुशोभित हो रहा है। ऐसे सार्वभौम व्यक्तित्व का शब्दांकन आज तक नहीं किया गया-यह सखेद आश्चर्य की बात है। किन्तु साथ ही गौरवपूर्ण हर्ष भी है कि अब इस विरल व्यक्तित्व पर एक सुन्दर, सरस साथ ही मौलिक शोधपर्ण कृति हमारे समक्ष आई है---‘इन्द्रभूति गौतम: एक अनुशीलन' के रूप में। 'इन्द्रभूति गौतम' के लेखक हैं श्री गणेशमुनि जी शास्त्री, जो श्रद्धय श्री पुष्कर मुनि जी म० के सुयोग्य शिष्य हैं। श्री गणेश मुनि जी अब तक कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिख चुके हैं, किंतु उन सबमें प्रस्तुत पुस्तक अपना अलग ही स्थान रखती है । इसकी सामग्रो, विषय-वस्तु एवं प्रतिपादन शैली सर्वथा मौलिक, शोधपूर्ण एवं प्रभावोत्पादक है। अपने विषय की यह नवीन एवं पहली पुस्तक है। इसकी भाषा बड़ी रोचक, आकर्षक और प्रवाहमयी है। दार्शनिक विषयों को भी बड़ी स्पष्ट एवं सही तुलनात्मक भाषा में सरलता के साथ प्रस्तुत किया गया है । पुस्तक-लेखक के साथ संपादक श्री श्रीचन्द सुराना 'सरस' भी धन्यवाद के पात्र हैं, जिन्होंने अपनी अनुभव पूर्ण संपादन कला का पूरी तन्मयता के साथ चमत्कार दिखाया है । पुस्तक को प्रत्येक दृष्टि से सुन्दर एवं परिपूर्ण बनाने में उनका योगदान लेखक एवं प्रकाशक दोनों को प्राप्त हुआ है अतः वे हमारे अपने होते हुए भी कृतज्ञता की पुकार के रूप में हम उन्हें पुनः धन्यवाद देते हैं। ___ सन्मति ज्ञान पीठ का यह सौभाग्य है कि महामनीपो श्रद्धय उपाध्याय श्री अमचन्द्र जी म० का वरदहस्त प्राप्त हुआ है । उनके निर्देशन में सन्मति ज्ञान पीठ आज पचीस वर्ष से निरंतर सत्साहित्य प्रकाशन की दिशा में प्रगति कर रही है । उन्हीं की कृपा से प्रस्तत पुस्तक हमें प्रकाशन के लिए प्राप्त हुई है। हमें आशा और विश्वास है कि अन्य प्रकाशनों की भांति प्रस्तुत प्रकाशन भी हमारे पाठकों को रुचिकर एवं ज्ञानवर्धक लगेगा और वे अधिकाधिक संख्या में अपनायेगे । जैन भवन आगरा ३०-९-७० मंत्री सन्मति ज्ञान पीठ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003429
Book TitleIndrabhuti Gautam Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Shreechand Surana
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1970
Total Pages178
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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