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________________ अध्याय २-रीति-काव्य जब कवि शिवराम सरजमल के पास रहते थे, लगभग उसी समय उनके भाई प्रतापसिंहजी' के पास दो अत्यंत उच्च कोटि के कवि और प्राचार्य रहते थे। इनके नाम हैं सोमनाथ और कलानिधि। सोमनाथ का नाम हिन्दी काव्य-साहित्य में अत्यंत प्रसिद्ध है । जब रीतिकाल के प्राचार्यों का वर्णन आता है तब माथुर कवि सोमनाथ का वर्णन अवश्य मिलता है । हिन्दी के प्रारम्भिक इतिहासों में भी सोमनाथ का नाम दिया गया है । सोमनाथ का 'रस-पीयूषनिधि' नाम का एक सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है। जिस प्रकार गोविन्द कवि का 'गोविन्दानंदघन', देव का 'काव्यरसायन', दास का 'काव्य-निर्णय', प्रताप साहि का 'काव्य विलास', सूरति मिश्र का 'काव्यसिद्धान्त' प्रादि ग्रन्थ हैं उसी प्रकार सोमनाथ के 'रसपीयूषनिधि' में काव्य के सम्पूर्ण अंगों का वर्णन किया गया है। इनके इस परम प्रसिद्ध ग्रन्थ में २२ तरंगें हैं और पुस्तक के अंत में लिखा है- . 'इति श्री मन्महाराज कुवार श्री परतापसिंह हेत कवि सोमनाथ विरचते रसपियूषनिधौ अर्थालंकार संसृष्ट संकर अलंकार वरननं नाम द्वाविसतितमस्तरंगा २२ ।' ये बाईस तरंगें इस प्रकार हैं १ राजकुल वरननं, १ बदनसिंहजी के कई पुत्र थे। इनमें दो बहुत ही प्रतापी थे १. सूरजमल---जो कुम्हेर में रहा करते थे। २. प्रतापसिंह-जिनका निवास स्थान वैर था। ऐसा मालूम होता है कि इन स्थानों का पूरा अधिकार इन राजकुमारों को मिला हुआ था। वैर में प्रतापसिंह जी के वंशज अभी तक हैं और वैर वाले राजाजी कहलाते हैं । इनमें से कई से मेरा परिचय है किन्तु परिचय होने पर भी कोई साहित्य उपलब्ध नहीं हो सका । कहा जाता है कि इन लोगों के पास काफी मूल्यवान सामग्री है । २ इनके बहुत से ग्रन्थों का नाम हमने सुना था। खोज में निम्न ग्रन्थ मिले१. ध्रुवविनोद ६. संग्रामदर्पण २. महादेव की व्याहुलो ७. वृजेंद्रविनोद ३. सुजानविलास ८. रासपंचाध्यायी ४. रसपीयूषनिधि ९. शशिनाथविनोद ५. प्रेमपचीसी १०. रामायण के अनुवाद इनके ग्रन्थों से यह भी पता लगता है कि ये कुछ दिनों नवाब आजम खां के आश्रय में भी रहे थे, और वहां रह कर इन्होंने 'नवाबोल्लास' नाम का एक ग्रन्थ और लिखा है। हिन्दी साहित्य के इतिहासकार इन्हें देव, दास, श्रीपति आदि की कोटि में रखते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003396
Book TitleMatsyapradesh ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotilal Gupt
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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