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________________ वात देवजी बगडावतांरी [ rasai' या ईयेनुं कहै । वाघा म्हांनुं हींडण दे | दांत का | निहोरा करै । है 3 कहींडण न देऊ । ताहरां छोकरयां सलांमां करै । है हींडण दे । ताहरां कहै हींडण कहीं देही । ताहरां कहै मो दोला फेरा ल्यौ तौ हुं हींडण देऊ । ताहरां छोकरचां कह्यौ । लेस्यां । रह्यौ घरे जायने वात मत कह्या । तौ कह्यौ जिके परणियां छैतिके पसवाड़े ठो । कवारयां छै तिके जुद्यां हुवौ । ताहरां छोकरयां वा दोला फेरा च्यार लीया । ताहरां बांभण १ पांगुली प्रोथ पड़ीयौ हुतौ ' तिकेनुं वाघै कह्यौ । रे तूं बांभण छै । जे भणीयौ' छै तौ तूं वेद पढ । का मारीस । ताहरां बांभण बीहते क्युं भणीयौ । 8 ताहरांहीं उतार दी । छोकरयां हींडण लाग्यां । रमण पेलण लाग्यां । रम बेल घरे गयां । 0 हिवै ईयांरा साहा सूभै नहीं । घणुं हीं " ढूंढि धाया । वरस १।२ हूवा । छोकरयांरा साहा ऊघडै नहीं " " । ताहरां लोक चिंतातुर हूवा | लोकांनुं वडो सोच हूवौ । साहो सू नहीं । 12 .1 3 ताहरां वडेरा " लोक एकठा हूवा । दावड्यां तेडीयां'" । वात १. दावड्यां- लड़कियां । २. निहोरा करें - प्राग्रह करती हैं, गरज करती हैं । ३. आडै आंक - कभी नहीं; किसी भी अवस्था में, 'ग्रांक' से तात्पर्य विधाताके लेखोंसे है अर्थात् विधाताके लेख विरुद्ध होने पर भी । ४. मोल्यौ - मेरे चारों श्रोर फेरे लो। फेरा-प्ररिक्रमा, विवाह सम्बन्धी एक प्रथा । ५. पसवाड़े - पीछे । ६. पांगुली हुती - पैरोंसे क्षीण उस स्थान पर पड़ा था । ७. भरणीयौ - पढ़ा हुआ । ८. बीहते - डरते हुए । ६. ईयां नहीं - इनके विवाह लग्न नहीं दिखाई देते । १०. घणुं हीं - बहुत ही । ११. ऊघडै नहीं- निकलते नहीं, प्रकट नहीं होते । १२. वडेरा - बड़े । १३. तेडीयां - बुलाया । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003391
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottamlal Menariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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