SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 266
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रतिपत्तिः -३, दीव० २६३ सुगंधवरगंधियंगंधवट्टिभूयंकरंति ___अप्पेगइया देवा हिरण्णवासं वासंति, अप्पेगइया देवा सुवण्णवासं वासंति, अप्पेगइया देवा एवं रयणवासं वइरावासं पुप्फवासं मल्लवासं गंधवासं चुण्णवासं वत्थवासं आहरणवासं, अप्पेगइया देवा हिरण्णविधिं भाइंति, एवं सुवण्णविधि रयणविधिं वतिरविधिंपुष्फविधिंमल्लविधि चुण्णविधिं गंधविधिं वत्थविधं भाइंति आभरणविधि अप्पेगतिया देवा दुयं नट्टविधिं उवदंसेंति अप्पे० विलंबितं नट्टविहिं उवदंसेति अप्पेग० देवा दुतविलंबितंनाम नट्टविधिं उवदंसेंति अप्पेग० देवा अंचियं नट्टविधिं उवदंसेंति अप्पेग० देवा रिभितं नट्टविधिं उवदंसेति अ० अंचितरिभितं नाम दिव्वं नट्टविधिं उवदंसेति अप्पेग० देवा आरभड नट्टविधिं उवदंसेति अप्पेग० देवा भसोलं नविधिं उवदंसेंति अप्पेग० देवा आरभडभसोलं नाम दिव्वं नट्टविधिं उवदंसेति अप्पेगतिया देवा उप्पायणि वायपवुत्तं संकुचियपसारियं रियारियंभंतसंभंतं नाम दिव्वं णट्टविधिं उवदंसेति अप्पेगतिया देवा चउविधं वातियं वादेति, तंजहा ततं विततंधणंझुसिरं, अप्पेगतिया देव चउबिधंगेयंगातंति, तंजहा-उक्खित्तयंपवत्तयं मंदायंरोइदावसाणं, अप्पेगतियादेवा चउविधं अभिनयंअभिनयंति, तंजहा-दिलृतियंपाउंतियं सामन्तोवमिवातियं लोगमज्झावसाणियं, अप्पेगतिया देवा पीणंति अप्पेगतिया देवा वुक्कारेति अप्पेग० देवातंडवेंतिअप्पे० लासेतिअप्पेगतिया देवापीणंति वुक्कारेतितंडवेंति लासंतिअप्पेगतिया देवा वुक्कारेति अप्पेगतिया देवा अप्फोडंति अप्पेगतिया देवा वग्गंति। -अप्पेगतिया देवा तिवतिं छिंदंति अप्पेगतिया देवा अप्फोडेति वग्गंति तिवतिं छिंदेति अप्पेगतिया देवा हतहेसियं करेंति अप्पेगतिया देवा हत्थिगुलगुलाइयं करेंति अप्पेगतिया देवा रहघणघणातियं करेतिअप्पेगतिया देवा हयहेसियं करेंति हत्थिगुलगुलाइयंकातिरहघणघणाइयं करेंति अप्पेग० देवा उच्छोलेंति अप्पेग० देवा पच्छोलेंति [अप्पेगतिया देवा उक्कटिं करेति] अप्पेगतिया देवा उक्किट्ठीओ करेंति अप्पेगतिया देवा उच्छोलेंति पच्छोलिंति उक्विडिओ करेंति अप्पेगतिया देवा सीहनादं करेंति अप्पेगतिया देवा पाददद्दरयं करेंत अप्पेगतिया देवा भूमिचवेडं दलयंति अप्पेगतिया देवा सीहनादं पाददद्दरयं भूमिचवेडं दलयंति, अप्पेगतिया देवा हक्कारेंति अप्पेगतिया देवा वुक्करेंति अप्पेगतिया देवा थक्कारेंति अप्पे० पुक्कारेति अप्पेगतिया देवा नामाइंसावेंति अप्पेगतिया देवा हक्कारेति वुक्कारेंति थक्कारेंति पुकारेंति नामाइं सावेति। -अप्पेगतिया देवा उप्पतंति अप्पेगतिया देवा निवयंति अप्पेगतिया देवा परिवयंति अप्पेगतिया देवा उप्पयंति निवयंति परिवयंति अप्पेगतिया देवा जलेंति अप्पेगतिया देवा तवंति अप्पेगतियादेवापतवंतिअप्पेगतियादेवाजलंतितवंति पतवंतिअप्पेगइयादेवा गज्जेतिअप्पेगइया देवा विजुयायंतिअप्पेगइया देवा वासंति अप्पेगइया देवा गजंति विजुयायंति वासंतिअप्पेगतिया देवा देव सन्निवायं करेंति अप्पेग० देवा देवुक्कलियं करेंति अप्पेग० देवा देवकहकहं करेंति -अप्पेगतिया देवा दुहदुहं करेंति अप्पेगतिया देवा देवसन्निवायंदेवउक्कलियं देवकहकहं देवदुहदुहं करेंति अप्पेगतिया देवा देवुजोयंकरति अप्पेगतिया देवा विज्जुयारं करेंति अप्पेगतिया देवा चेलुक्खेवं करेंति अप्पेगतिया देवा देवुजोयं विजुतारं चेलुक्खेवं करेंति अप्पेगतिया देवा उप्पलहत्थगता जाव सहस्सपत्त० घंटाहत्थगता कलसहत्थगता जाव धूवकडुच्छहत्थगता हट्ठ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003313
Book TitleAgam Suttani Satikam Part 09 Jivajivabhigam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages532
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy