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षष्ठाध्यायस्य चतुर्थः पादः
६२६ अर्थ:-स्त्रिया अगस्य ईकारस्य अजादौ प्रत्यये परत इयङ् आदेशो भवति।
उदा०-स्त्रियौ। स्त्रियः।
आर्यभाषा: अर्थ-(स्त्रियाः) स्त्री (अङ्गस्य) अग के (य:) ईकार को (अचि) अजादि प्रत्यय परे होने पर (इयङ्) इयङ् आदेश होता है।
उदा०-स्त्रियौ। दो स्त्रियां। स्त्रियः । सब स्त्रियां। सिद्धि-स्त्रियौ । स्त्री+औ। स्त्र इयड्+औ। स्त्र् इय्+औ। स्त्रियौ।
यहां स्त्री' शब्द से द्वित्व-विवक्षा में स्वौजसः' (४।१।२) से 'औ' प्रत्यय है। इस सूत्र से 'स्त्री' अंग के इकार को अजादि औ' प्रत्यय परे होने पर इयङ्' आदेश होता है। ऐसे ही जस्' प्रत्यय परे होने पर-स्त्रियः । इयडादेश-विकल्प:
(५) वाऽम्शसोः।८०। प०वि०-वा अव्ययपदम्, अम्-शसो: ७।२।।
स०-अम् च शस् च तौ अम्शसौ, तयो:-अम्शसो: (इतरेतरयोगद्वन्द्वः)।
अनु०-अङ्गस्य, यः, इयङ् इति चानुवर्तते। अन्वय:-स्त्रिया अङ्गस्य योऽम्शसोर्वा इयङ् ।
अर्थ:-स्त्रिया अङ्गस्य ईकारस्य अमि शसि च प्रत्यये परतो विकल्पेन इयङ् आदेशो भवति।
उदा०-(अम्) त्वं स्त्री पश्य, स्त्रियं पश्य । (शस्) त्वं स्त्री: पश्य, स्त्रियः पश्य।
आर्यभाषा: अर्थ-(स्त्रियाः) स्त्री (अङ्गस्य) अङ्ग के (य:) ईकार को (अम्शसोः) अम् और शस् प्रत्यय परे होने पर (वा) विकल्प से (इयङ्) आदेश होता है।
उदा०-(अम्) त्वं स्त्री पश्य, स्त्रियं पश्य । तू स्त्री को देख । (शस्) त्वं स्त्री: पश्य, स्त्रिय: पश्य । तू स्त्रियों को देख।
सिद्धि-(१) स्त्रीम् । स्त्री+अम् । स्त्री+०म् । स्त्रीम्।
यहां स्त्री' शब्द से कर्म कारक में तथा एकत्व-विवक्षा में स्वौजस०' (४।१।२) से 'अम्' प्रत्यय है। इस सूत्र से स्त्री अङ्ग के इकार को विकल्प-पक्ष में 'इयङ्' आदेश नहीं है। 'अमि पूर्वः' (६।१।१०५) से पूर्वसवर्ण एकादेश है।