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________________ २२७ चतुर्थाध्यायस्य द्वितीयः पादः यहां ऋचाभ' शब्द से 'कलापिवैशम्पायनान्तेवासिभ्यश्च' (४।३।१०४) से प्रोक्त अर्थ में णिनि' प्रत्यय और तत्पश्चात् प्रोक्त-प्रत्ययान्त 'आर्चाभी' शब्द से पूर्ववत् 'अण्' प्रत्यय और उसका लोप होता है। (४) वाजसनेयी। वाजसनेय+टा+णिनि। वाजसनेय+इन् । वाजसनेयिन्+अम्+अण् । वाजसनेयिन्+० । वाजसनेयिन्+सु। वाजसनेयी। यहां वाजसनेय' शब्द से प्रोक्त अर्थ में 'शौनकादिभ्यश्छन्दसि (४।३।१०६) से णिनि प्रत्यय है। शेष कार्य पूर्ववत् है। (५) ताण्डी। ताण्ड्य+टा+णिनि। ताण्ड्य+इन् । ताण्ड्+इन् । ताण्डिन्+अम्+अण्। ताण्डिन्+० । ताण्डिन्+सु । ताण्डी। यहां गर्गादि यजन्त तृतीयासमर्थ, 'ताण्ड्य' शब्द से 'पुराणप्रोक्तेषु ब्राह्मणकल्पेषु' (४।३।१०५) से णिनि प्रत्यय है। 'आपत्यस्य च तद्धितेऽनाति' (६।४।१५५) से यकार का लोप होता है। शेष कार्य पूर्ववत् है। (६) भाल्लवी। भाल्लवि+टा+णिनि। भाल्लव्+इन्। भाल्लविन्+अम्+अण् । भाल्लविन्+0/ भाल्लविन्+सु। भाल्लवी। यहां इञ्-प्रत्ययान्त 'भाल्लवि' शब्द से पूर्ववत् णिनि प्रत्यय होता है। शेष कार्य पूर्ववत् है। (७) शाट्यायनी। शट+डस्+यञ् । शाट्+य । शाट्य+अम्+फक् । शाट्य्+आयन। शाट्यायन+टा+णिनि। शाट्यायन्+इन् । शाट्यायिन्+अम्+अण् । शाट्यायिन्+0/ शाट्यायिन्+सु । शाट्यायनी। यहां प्रथम 'शाट्य' शब्द से 'गदिभ्यो यञ्' (४।१।१०५) से 'यञ्' प्रत्यय, यजन्त 'शाट्य' शब्द से 'यजिञोश्च' (४।१।१०१) से फक् प्रत्यय और उससे प्रोक्त अर्थ में पूर्ववत् णिनि प्रत्यय होता है। शेष कार्य पूर्ववत् है। (८) ऐतरेयी। इतर+डस्+ढक् । ऐतर्+एय। ऐतरेय+टा+णिनि। ऐतरेय+इन्। ऐतरेयिन्+अम्+अण् । ऐतरेयिन्+० । ऐतरेयिन्+सु। ऐतरेयी। यहां प्रथम 'इतर' शब्द से शुभ्रादिभ्यश्च' (४।१।१२३) से ढक्’ प्रत्यय, तत्पश्चात् ढगन्त ऐतरेय' शब्द से प्रोक्त अर्थ में पूर्ववत् णिनि' प्रत्यय है। शेष कार्य पूर्ववत् है। विशेष-'छन्दोब्राह्मणानि च तद्विषयाणि' (४।२।६६) यह पाणिनीय सूत्र है। इससे भी स्पष्ट विहित होता है कि वेद मन्त्रभाग और ब्राह्मण व्याख्या भाग हैं (सत्यार्थप्रकाश समु० ७)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003298
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1998
Total Pages624
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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