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________________ २२४ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् यहां राजन्' शब्द से द्विवचनविभज्योपपदे तरबीयसुनौ' (५।३।५७) से तद्धित तरम्' प्रत्यय करने पर 'राजन्' शब्द की पदसंज्ञा होती है। अत: पूर्ववत् न' का लोप हो जाता है। (५) राजतम:। राजन्+तमम् । राज+तम। राजतम+सु। राजतमः । यहां 'राजन्' शब्द से 'अतिशायने तमबिष्ठनौ' (५ ॥३१५५) से तमप्' प्रत्यय करने पर राजन्' शब्द की पदसंज्ञा होती है। अत: पूर्ववत् न्' का लोप होता है। भासंज्ञाप्रकरणम् य-अजादौ (१) यचि भम् ।१८। प०वि०-य्-अचि ७१ भम् १।१। स०-य् च अच् च एतयो: समाहार:-यच्, तस्मिन् यचि (समाहारद्वन्द्व:)। अनु०-'स्वादिष्वसर्वनामस्थाने' इत्यनुवर्तते। अन्वय:-असर्वनामस्थाने स्वादिषु पूर्वं भम्। अर्थ:-सर्वनामस्थानवर्जितेषु स्वादिषु प्रत्ययेषु यकारादावजादौ च प्रत्यये परत: पूर्व भ-संज्ञकं भवति । उदा०-(यकारादौ) गार्य: । वात्स्यः । (अजादौ) दाक्षि: । प्लाक्षिः । आर्यभाषा-अर्थ-(असर्वनामस्थाने) सर्वनामस्थानसंज्ञक प्रत्ययों को छोड़कर (स्वादिषु) 'सु' आदि प्रत्ययों में विद्यमान (यचि) यकारादि और अजादि प्रत्यय के परे होने पर पूर्ववर्ती शब्द की (भम्) 'भ' संज्ञा होती है। उदा०-(यकारादि) गार्यः । गर्ग का पोता। वात्स्यः । वत्स का पोता। (अजादि) दाक्षिः । दक्ष का पुत्र । प्लाक्षिः । प्लक्ष का पुत्र । सिद्धि-(१) गार्ग्य: । गर्ग+यञ् । गर्ग+य। गार्ग+य। गाये+सु। गार्य:। यहां गर्ग' शब्द से 'गर्गादिभ्यो य (४।१।१०५) से गोत्रापत्य अर्थ में यञ्' प्रत्यय करने पर गर्ग' शब्द की 'भ' संज्ञा होती है। अत: यस्येति च' (६।४।१४८) से गर्ग' के 'अ' का लोप हो जाता है। अचो णिति' (७।२।११५) से आदि वृद्धि होती है। इसी प्रकार वत्स' शब्द से 'वात्स्य:' शब्द सिद्ध होता है। (२) दाक्षिः । दक्ष+इञ् । दश्+इ। दाक्ष+इ। दाक्षि+सु। दाक्षिः । यहां दक्ष' शब्द से 'अत इ (४।१।९५) से अपत्य अर्थ में 'इञ्' प्रत्यय करने पर दक्ष' शब्द की 'भ' संज्ञा होती। अत: पूर्ववत् दक्ष के 'अ' का लोप हो जाता है। यहां भी पूर्ववत् आदिवृद्धि होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003296
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1997
Total Pages590
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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