________________
नवस्मरणादिसङ्गहे दिन दिवाळीनो गाजीयो, अयोध्या नगरी मोझार । धोळाजीमां जूठो एम कहे, गुण गाय श्रीरामचंद्रजीना
धन्य धन्य धन्य श्रीरामने ॥१७॥
प्रभातमां भाववानी भावना। आबु अष्टापद गढ गिरनार, समेतशिखर शेव॒जो सार । पंच तीरथ उत्तम ठाम, सिद्धि वर्या तेन कर प्रणाम ॥१॥
श्री सिद्धाचलने विषे आदीश्वर भगवान पूर्व नवाणुं वार समोसर्या, तेने मारी क्रोडकोडवार वंदना होजोजी ॥१॥
पुंडरिकस्वामि पांच कोड मुनि साथे सिद्धिपदने वर्या तेने मारी क्रोड०॥२॥
राम भरत त्रण क्रोड साथे सिद्धि वर्या तेने मारी क्रोड०॥३॥ नारदजी एकागुं लाख साथे सिद्धि वर्या तेने मारी क्रोड०॥४॥ वसुदेवनी पांत्रीस हजार स्त्री सिद्धि वरी तेने मारी क्रोड०॥५॥
ए गिरिराजने विषे शांतिनाथ प्रभुए मुनिराज साथे चोमासु कीधुं तेने मारी क्रोड०॥६॥
थावच्चा पुत्र एक हजार साथे सिद्धि वर्या तेने मारी क्रोड०||७|| सुभद्र मुनि सातसें साथे सिद्धि वर्या तेने मारी क्रोड०॥८॥
नमि विनमि विद्याधर बे क्रोड मुनि साथे सिद्धि वर्या तेने मारी क्रोड०॥९॥
द्राविड अने वारिखिल्लजी, दश क्रोडी साथे सिद्धि वर्या तेने मारी क्रोड०॥१०॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org