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________________ XK6666666 (२१) पुप्फियाणं (४) बहुपुत्तिया [६] 五五五五五五五五五五五五五ESTOK सत्थवाहिं पुरओ काउं जेणेव सुव्वया अज्जा तेणेव उवागच्छइ जाव नमंसित्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया सुभद्दा सत्यवाही मम भारिया इट्ठा कंता जाव मा णं वाइया पित्तिया सिभिया सण्णिवाइया विविहा रोगायंका फुसंतु एस णं देवाणुप्पिया संसारभउव्विग्गा भीया जम्मणमरणाणं देवाणुप्पियाणं अंतिए ० पव्वयाइ तं एवं अहं देवाप्पियाणं सीसिणिभिक्खं दलयामि पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया सीसिणिभिक्खं अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंध करेहि तए णं सा सुभद्दा सत्यवाही सुव्वयाहिं अज्जाहिं एवं वृत्ता समाणी हट्टतुट्ठा उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ अवक्कमित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ करेत्ता जेणेव सुव्वयाओ अज्जाओ तेणेव उवागच्छइ जाव नमंसित्ता एवं वयासी आलित्ते णं अज्जा लोए जहा देवाणंदा तहा पव्वइया जाव अज्जा जायाइरियासमिया जाव गुत्तबंभयारिणी तए णं सा सुभद्दा अज्जा अण्णया कयाइ बहुजणस्स चेडरुवेसु मुच्छिया जाव अज्झोववण्णा अब्भंगणं च उव्वटणं च फासुयपाणं च अलगत्तंग च कंकणाणि य अंजणं च वण्णगं च चुण्णगं च खेल्लणगाणि य खज्जल्लगाणि य खीरं च पुप्फाणि य गवेसइ गवेसित्ता बहुजणस्स दारए य जाव डिभियाओ य अप्पेगइयाओ अब्भंगेइ जाव ण्हावेइ अप्पेगइयाणं पाए रयइ अप्पेगइयाणं ओट्ठे रयइ अप्पेगइयाणं अच्छीणि अंजेइ अप्पेगइयाणं उसुए करेइ अप्पेगइयाणं तिलए करेइ अप्पेगइ-याओ दिगिंदलइ करेइ अप्पेगइयाणं पंतियाओ करेइ अप्पेगइयाइं छिज्जाई करेइ अप्पेगइया वण्ण-एणं समालभइ अप्पेगइया चुण्णएणं समालभइ अप्पेगइयाणं खेल्लणगाई दलयइ अप्पेगइयाणं खज्जलगाई दलयइ अप्पेगइयाओ खीरभोयणं भुंजावेइ अप्पेगइयाणं पुप्फाई ओ अप्पेगइयाओ पाएसु ठवेइ अप्पेगइयाओ जंघासु ठवेइ एवं ऊरुसु उच्छंगे कडीए पिट्ठीए पिट्टे उरसि खंधे सीसे य करयलपुडेणं गहाय हलउलेमाणी-हलउलेमाणी आगायमाणी आयायमाणी परिगायमाणी - परि-गायमाणी पुत्तपिवासं च धूयपिवासं च नत्तुयपिवासं च नत्तिपिवासं च पच्चणुभवमाणी विहरइ तए णं तओ सुव्वयाओ अज्जाओ सुभदं अज्जं एवं वयासी- अम्हे णं देवाणुप्पिए समणीओ निग्गंधीओ इरियासमियाओ जाव गुत्तबंभयारिणीओ नो खलु अम्हं कप्पइ धाइकम्मं करेत्तुए तुमं देवाप्पिए बहुजणस्स चेडरुवेसु मुच्छिया जाव नत्तिपिवासं वा पच्चणुभवमाणी विहरसि तं णं तुमं देवाणुप्पिए एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पायच्छित्तं पडिवज्जाहि तए णं सा सुभद्दा अज्जा सुव्वयाणं अज्जाणं एयमहं नो आढाइ नो परिजाणइ अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी विहरइ तए णं ताओ समणीओ निग्गंथीओ सुभद्दं अज्जं हीलेतिं अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी विहरइ तए णं ताओ समणीओ निग्गंधीओ सुभद्दं अज्जं हीलेति निदंति खिंसंति गरहंति अभिक्खणं-अभिक्खिणं एयमहं निवारंति तए णं तीसे सुभद्दाए अज्जाए समणीहिं निग्गंधीहिं हीलिज्जमामीए जाव अभिक्खणं अभिक्खणं एयमहं निवारिज्जमाणीए अयमेयारुवे ० संकप्पे समुप्पज्जित्था - जया णं अहं अगारवासं आवासामि तया णं अहं अप्पवसा जप्पभिरं च णं अहं ० पव्वइया तप्पभिडं च णं अहं परवसा पुव्विं च मम समणीओ निग्गंधीओ आढेति परिजाणेति इयाणिं ना आढेति नो परिजाणंति तं सेयं खलु मे कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलंते सुव्वयाणं अज्जाणं अंतियाओ पडिनिक्खमित्ता पाडिएक्कं उवस्सयं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कल्लं पाउप्प-भायए रयणीए जाव उपसंपज्जित्ता णं विहरइ तए णं सा सुभद्दा अज्जा अज्जाहिं अणोहट्टिया अणिवारिया सच्छंदमई बहुजणस्स चेडरुवेसु मुच्छिया जाव अब्भगणं च जाव नत्तिपिवासं च पच्चणभवमाणी विहरइ तए णं सा सुभद्दा अज्जा पासत्था पासत्थविहारी ओसण्णा ओसण्णविहारी कुसीला कुसीलविहारी संसत्ता संसत्तविहारी अहाछंदा अहाछंदविहारी बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणइ पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेत्ता तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता तस्स ठाणस्स अणालोइय अपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तियाविमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूसंतरिया अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेत्ताए ओगाहणाए बहुपुत्तियदेवित्ताए उववण्णा तए णं सा बहुपुत्तिया देवी अहुणोववण्णमेत्ता समाणी पंचविहए पज्जत्तीए जाव भासमणअभिसमण्णागर से केणद्वेणं भंते एवं वुच्चइ - बहुपुत्तिया देवी बहुपुत्तिया देवी गोमा बहुपुत्तिया णं देवा जाहे-जाहे सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो उवत्थाणियं करेइ ताहे-ताहे बहवे दारए य जाव डिभियाओ य विउव्वइ विउव्वित्ता जेणेव सक्के देविदे देवराया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो दिव्वं देविडिंढ दिव्वं देवज्जुनं दिव्वं देवाणुभावं उवदंसेइ से तेणद्वेणं गोयमा एवं वुच्चइMOTOR श्री आगमगुणमंजूषा - १२७६ ॐ ॐ
SR No.003269
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunsagarsuri
PublisherJina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
Publication Year1999
Total Pages34
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, F000, F005, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size4 MB
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