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________________ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ११ अंगसूत्र ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय १) श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है । द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। ६) २) श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान मे विद्यमान है । १८० क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का मुख्य विषय रहा है। ३) श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। ४) श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी संग्रहग्रंथ है। एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण मे उपलब्ध है। ५ ) श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र ( भगवती सूत्र ) :- यह सबसे बड़ा सूत्र है, इसमे ४२ शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ में प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान किया है । प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुई है। चारो अनुयोगो कि बाते अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। ७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। ८) श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यतः धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री शत्रुंजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हुए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती है । ९) श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। १०) श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र मे भी है । कुल मिला के इसके २०० श्लोक है। ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है । १२ उपांग सूत्र १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है। इस मे चंपानगरी का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। २) श्री राजप्रनीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है । २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। श्री आगमगुणमंजूषा GY
SR No.003264
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunsagarsuri
PublisherJina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
Publication Year1999
Total Pages102
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size10 MB
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