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________________ 9. अहिंसाः एक तुलनात्मक अध्ययन (210136) | सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ पा.वि. वाराणसी 10 अहिंसा का अर्थ विस्तार, सम्भावनाएँ श्रमण जनवरी 1980 11. अहिंसा की सार्वभौमिकता (210141) |जैन विद्यालय स्मारक ग्रन्थ, कलकत्ता 12. आगम साहित्य में प्रकीर्णकों का स्थान |सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. ___ महत्व रचनाकाल एवं रचयिता (210161) वाराणसी 13 आचारांग सूत्रः आधुनिक मनोविज्ञान के संदर्भ में तुलसीप्रज्ञा, खण्ड 6, अंक 9, 1981 14 आचारांगसूत्रः एक विश्लेषण (210178) | सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 15 आत्मा और परमात्माः एक तुलनात्मक विवेचन श्रमण, मार्च 1980 16 आचार्य हेमचन्द्रः एक युगपुरुष 210204 सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. वाराणसी 17 इक्कीसवीं सदी की प्रमुख समस्याएँ और जैन विजयानन्दसूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रन्थ दर्शन के परिप्रेक्ष्य में उनके समाधान (210265) 18 उच्चै गर शाखा के उत्पति स्थल एवं सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. उमास्वाति के जन्मस्थान की पहचान 210302 | वाराणसी 19 खजुराहो की कला और जैनाचार्यों की सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. समन्वयात्मक एवं सहिष्णु दृष्टि 210432 वाराणसी 20 गुणस्थान सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास श्रमण, जनवरी-मार्च 1992 21 गीता में नियतिवाद और पुरुषार्थवाद की प्राच्य प्रतिभा (पत्रिका), बिरला समस्या और यथार्थ जीवनदृष्टि केन्द्र, भोपाल 22 जटासिंहनन्दी का वारांगचरित और उसकी सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ, पा.वि. परम्परा (210499) वाराणसी 23 जैन एकता का प्रश्न ? |श्रमण, जनवरी 1983 24 जैन अध्यात्मवाद, आधुनिक सन्दर्भ भवरलाल नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ ___ में (210559) 25 जैन आगमिक व्याख्या साहित्य में नारी की | सज्जनश्री अभिनन्दन ग्रन्थ स्थिति का मूल्यांकन (210572) 26 जैन आगमों की मूल भाषा अर्द्धमागधी या समन मुनि प्रज्ञामहर्षि अभिनन्दन ग्रन्थ शौरसेनी (210574) डॉ. सागरमल जैन - एक परिचय : 27 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003249
Book TitleSagarmal Jain Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2011
Total Pages50
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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