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________________ ( २१ ) हरिभव सूरि (जिनदेव उपाध्याय कर्मशास्त्र बंधस्वामित्व-पडशिति-कर्म ग्रन्थ के शिष्य) की वृत्ति १९७२ चरित्र मुनिपतिचरित्र प्रा०, धेयांस चरित्र, चरित्र मुनिसुव्रत चरित्र (?) स्तोत्र-कल्प प्रतिष्ठा कल्प, उपसर्गहर स्तोत्र (भद्रबाहु) की टीका (?) यशोदेव सूरि (वीरगणि के आगमिक शिष्य श्रीचंद्रसूरि के शिष्य) ११७२ ईपिथिकी चूणि, चैत्यवंदन चूर्णि बंदनक चूणि, पिंडविशुद्धि (जिन वल्लभ) लघुवृत्ति११७६,पाक्षिक सूत्र की सुखविबोषा टीका ११८०, पच्चक्लाणसरूव ११८२ हेमचंद्र सूरि-*मलधारी आगमिक विशेषावश्यकभाष्य की बृहत् वृत्ति (२८०० श्लो०, ११७५) आवश्यक टिप्पनक (आवश्यक प्रदेश व्याख्या) ५००० श्लोक, अनुयोगद्वार वृत्ति, जीवसमास बृत्ति (७००० श्लो. ११६४) नंदीसूत्र टिप्पनक शतकनामा कर्म गंथ पर वृत्ति ४००० श्लो. उपदेश उपदेशमाला सटीक १४००० श्लोक भवभावनासटीक (१३००० श्लो०, ११७०) अमरचंद्र सूरि (नागेन्द्र गच्छीय, सिद्धान्तार्णव (?) आनंद सूरि के गुरुभाई) हरिभद्र सूरि (आनंद सूरि के पट्टधर) तत्त्वप्रबोध * विशेषावश्यक भाष्य बृहृदवृत्ति में उनके सात सहायकों के नाम १ अभय कुमार गणि ५ विबुध चंद्र गणि २ धनदेव गणि ६ आनंद श्री महत्तरा साध्वी ২ লিনগর মলি ७ वीरमति गणिनि साध्वी ४ लक्ष्मण गणि उपदेश प्रशमरति (उमास्वाति) की वृत्ति ११८५ क्षेत्रसमास की वृत्ति जिनेश्वर सूरि चरित्र मल्लिनाथ चरित्र प्रा० ११७५ विजय सिंह आचार्य चंद्र गच्छीय आगमिक प्रतिक्रमण सूत्र की चूणि ४५०० श्लो०; १९८३ धर्मधोष सूरि(राजगच्छीय शील धर्म कल्पद्रुम ११८६ भद्र सूरि के शिष्य) यशोभद्रसूरि (धर्मघोष के शिष्य) गद्य गोदावरी ग्रंथ महेन्द्र सूरि नर्मदा सुंदरी कथा ११८७ आम्रदेव सूरि (वडगच्छीय जिन कथा । आख्यानमणिकोश (नेमिचंद्रसूरि) चंद्र सूरि के शिष्य की टीका ११९० नन्न सूहि धम्मविहि सिद्धसूरि (उपकेशगच्छीय देव- भूगोल क्षेत्र समास पर वृत्ति ११९२ गुप्त सूरि के शिष्य) नयमंगल आचार्य अलंकार कवि शिक्षा विजयसिंह सूरि (मलधारी हेम- उपवेश धर्मोपदेशमाला विवरण चंद्र के शिष्य) १४४७१ श्लो.; ११९१ श्रीचंद्रसूरि आगमिक संग्रहणीरत्न प्रा. चरित्र मुनिसुव्रत चरित्र १०९९४ गाथा; ११९३ विबुधचंद्रसूरि " क्षेत्रसमास लक्ष्मणगणि सुपासनाहचरिय देवभद्रसूरि (मलघारी श्रीचंद्र संग्रहणी (श्रीचंद्र) को वृत्ति सूरि के शिष्य) Jain Education International For Private &Personal use Only
SR No.003235
Book TitleJain Granth aur Granthkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Belani
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal Banaras
Publication Year1950
Total Pages35
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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