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________________ अन्त में सामायिक की अवधि में भूल से प्रमाद के कारण मन से, वचन से, अथवा काया से कोई दोष या पाप लगा हो तो आत्म-साक्षी व गुरु की साक्षी में उसकी निन्दा गर्हा-पश्चात्ताप किया गया है │· सामायिक लेने की विधि सामायिक के लिए आवश्यक उपकरण : १. कटासन २ मुहपत्ति ३. चरवला [ गुरुमहाराज की अनुपस्थिति में] इन तीन के अतिरिक्त धर्म की पुस्तक, पुस्तक रखने के लिए चौकी, बाजोठ अथवा ऊंचा आसन, और नवकारवाली । सामायिक करते समय शुद्ध वस्त्र में केवल धोती, और उसमें देववंदन करना हो तो दुपट्टा भी पहनना चाहिए। सामायिक करने से पूर्व जिस स्थान पर सामायिक करना हो, उसे चरवले से उपयोगपूर्वक (जिससे किसी जीव जंतु को दुःख न हो) पूंज करके आसन बिछाना चाहिए । गुरु महाराज की उपस्थिति में, उनसे न तो अति दूर और न ही उनके अति निकट बैठना चाहिए। अर्थात् मध्यम अंतर से बैठना चाहिए। गुरु महाराज उपस्थित न हो, तो ऊँचे आसन स्थान पर धार्मिक पुस्तक आदि ज्ञानादि उपकरण रखकर बाँए हाथ में मुहपत्ति पकड़कर उसे मुख के पास रखकर, तथा दायां हाथ ज्ञानादि के साधन (पुस्तक या माला) के सन्मुख अंधा (उलटा Jain Education International ५२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003232
Book TitleAradhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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