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________________ नाट्यारम्भे नमन करीने पूर्ण आनंद पावे, सेवा सारी वीरविभु तणी को नवि चित्त लावे॥ (१३) संसाराम्भोनिधि-जल विषे डूबतो हुँ जिनेन्द्र, तारो सारो सुखकर भलो धर्म पाम्यो मुनीन्द्र। लाखो यत्नो यदि जन करे तोय ते ना हुं छोडूं, नित्यं वीर प्रभु ! तुज कने भक्तिथी हाथ जोडुं । (१४) दर्शनं देव-देवस्य, दर्शनं पापनाशनम् । दर्शनं स्वर्ग-सोपानं, दर्शनं मोक्ष-साधनम् ॥ (१५) जेना गुणोना सिंधुना बे बिन्दु पण जाणुं नहि, पण एक श्रद्धा दिलमहीं के, नाथ सम को छे नहि । जेना सहारे क्रोडो तरिया, मुक्ति मुझ निश्चय सहि, एवा प्रभु अरिहंतने, पंचांग भावे हुं नमुं॥ १. श्री नमस्कार (नवकार) महामंत्र - सूत्र नमो अरिहंताणं नमो सिद्धाणं नमो आयरियाणं नमो उवज्झायाणं नमो लोए सव्वसाहूणं एसो पंच-नमुक्कारो सव्व पावप्पणासणो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003232
Book TitleAradhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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