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________________ सव्वे जीवा कम्मवस, - चउदह राज भमन्त ते मे सव्व खमाविया, मुज्झ वि तेह खमन्त ॥ श्री नवपद स्तुति [राग-मन्दाक्रान्ता] श्री अरिहंतो सकलहितदा उच्च पुण्योपकारा, सिद्धो सर्वे मुगतिपुरीना गामीने ध्रुवतारा... १ आचायों छे जिन घरमना दक्ष व्यापारी शूरा, उपाध्यायो- गणधरतणां सूत्रदाने चकोरा.... २ साधु आन्तर अरिसमूहने विक्रमी थइ य दंडे, दर्शन ज्ञानं हृदय-मल ने मोह-अंधार खंडे... ३ चारित्रे छे अघरहित हो जिंदगी जीव ठारे, नवपद माहे अनुप तप छे जे समाधि प्रसारे... ४ वन्दु भावे नवपद सदा पामवा आत्मशुद्धि आलंबन हो मुज हृदयमां द्यो सदा स्वच्छ बुद्धि... ५ (रचयिता - आर्चायश्री विजय भुवनभानुसरिजी) भावना शिवमस्तु सर्वजगतः, परहितनिरता भवन्तु भूतगणाः । दोषाः प्रयान्तु नाशं, सर्वत्र सुखी भवतु लोकः ।। . - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003232
Book TitleAradhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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