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________________ सुकरातका विषप प्रसिद्ध यूनानी दार्शनिक सुकरात अफलातून अर्थात् प्लेटो के गुरु थे। वे बहुत बडे विद्वान और सत्यवादी थे। उन्हें विष पिलाकर मारा गया। उन्होंने हंसते-हंसते जहर का प्याला पी लिया और इस क्रूर नासमझ दुनिया से चल बसे। जब उन्हें जहर पिलाया जा रहा था तब लोग सोच रहे थे कि सुकरात बहुत दुःखी होंगे, पर नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। सत्य निष्ठ सुकरात को जहर देकर उन्हें मार डालने से पहले वस्तुतः उनके सामने दो शर्त रखी गई थी। सत्ताधारियों की पहली शर्त थी, "यूनान छोडकर भाग जाओ। अगर जान प्यारी है तो फिर कभी न लौटना।" सुकरात ने इस शर्त को नामंजूर करते हुए कहा, "ऐसा कभी नहीं हो सकता कि मैं यूनान छोडकर कहीं और चला जाऊँ। यह मेरी मातृभूमि है, यहीं मैं जन्मा, यहीं पला-पोसा, यहीं बडा हुआ, यहीं मैंने हजारों व्यक्तियों को सत्य की रोशनी दी, उनकी मन की आँखें खोलीं। मैंने कोई अपराध नहीं किया। फिर मातृभूमि को छोडकर क्यों चला जाऊँ? आनेवाली पीढ़ी क्या कहेगी - यही न कि सुकरात मौत से डर गया।" ___ जब सुकरात ने पहली शर्त नहीं मानी तब दूसरी शर्त रखी गई- "यूनान में तुम्हें रहने दिया जाएगा जब तुम सत्य का, अपने सिद्धान्तों का परित्याग कर दोगे।'' सुकरात ने इस दूसरी शर्त को भी ठुकरा दिया। उन्होंने कहा, "जीवन और मृत्यु के बारे में तो केवल भगवान ही जानता है। वही सबका मालिक है।'' बस, सुकरात को जहर पिला दिया गया और उनका शरीर यूनान की 'मिट्टी में मिल गया, पर...... Jain Education International IT JI For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003221
Book TitleStory Story
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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