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________________ 94 जो कष्ट से घबराकर धर्म से विमुख होते है उन्हें कभी सुंदर फल नहीं मिलते। कष्ट, जो धर्म के लिये किया जाये, उस का फल तो इससे भी अनंतगुण है। एक बूढ़े किसान को लगा कि अब वह ज्यादा नहीं जिएगा। बस कुछ ही क्षणों का वह मेहमान है। उसके तीनों बेटे उस वक्त पर उसके करीब ही खड़े थे। उसने अपने बेटों से कहा, "मेरी उम्र भर की कमाई, मेरा सारा खजाना अपने खेतों में है।" यह कहते हुए उसके प्राण निकल गए । अभी उसकी चिता की राख ठंडी भी नहीं हुई थी कि उसके तीनों बेटे फावड़े लेकर खजाना खोजने खेत पर ت पहुँच गए। तीनों ने मिलकर सारा खेत खोद डाला, पर कुछ भी हाथ न लगने पर तीनों निराश हो गए। तभी गाँव का एक बूढ़ा वहाँ आया। उसने तजुरबे की बात बताई। कहा, "अब इस खेत में बीज बो दो। जो फसल तैयार होगी, वह किसी खजाने से कम नहीं होगी।" तीनों बेटों ने वैसा ही किया। फसल लहलहाई तो तीनों को अपनी मेहनत का फल भी मिल गया-अर्थात् खजाना मिल गया । खजाना कहाँ है ?
SR No.003221
Book TitleStory Story
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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