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________________ प्रकीर्णक-साहित्य : एक परिचय ३. ४ ५. ६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. १५. १६. १७. १८. १९. ठाणांग सूत्र; आगमोदय समिति, सूरत, सूत्र ७५५ व्यवहार सूत्र (सम्पा.) कन्हैयालाल कमल, आगम अनुयोग ट्रस्ट अहमदाबाद, उद्देशक १० पाक्षिक सूत्र, देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार समिति, पृ. ७६-७७ धवला पुस्तक १३ / खण्ड V / भाग V / सूत्र ४८ पृ. २७६, उद्धृत जैनेन्द्र सिद्धान्त कोष, भाग ४, पृ. ७० विधिमार्गप्रपा (सम्पा.) जिनविजय, पृ. ५७-५८ प्रकीर्णक साहित्य : मनन और मीमांसा; (सम्पा.) सागरमल एवं सुरेश सिसोदिया, आगम अहिंसा समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर, १९९५ में प्रकाशित लेख 'आगम साहित्य में प्रकीर्णकों का स्थान, महत्व रचनाकाल एवं रचयिता, पृ. २, ३ -वही – 'प्रकीर्णकों की पाण्डुलिपियाँ और प्रकाशित संस्करण', पृ. ६८ (अ) देवेन्द्र मुनि ; जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा, पृ. ३८८ मुनि नगराजः आगम और त्रिपिटक एक अनुशीलन, पृ. ४८६ (स) शास्त्री, डॉ. कैलाश चन्द्र : प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, पृ.१९७ (ब) पइण्णयसुत्ताइं (सम्पा.) मुनिपुण्यविजय, महावीर जैन विद्यालय, बम्बई, १९८४ भाग १, प्रस्तावना पृ. २१ अभिधान राजेन्द्र कोष, भाग २, पृ. ४१ कोठारी, सुभाष : देविंदत्थओ, आगम संस्थान ग्रन्थमाला, उदयपुर १९८८, भूमिका पृ. xxxiv से xxxxi कोठारी, सुभाष : तंदुलवेयालियपइण्णयं आगम संस्थान ग्रन्थमाला, उदयपुर १९९१ "तंदुलवेयालियं ति तन्दुलानां वर्षशतायुष्कपुरुषप्रतिदिनभोग्यानां संख्या विचारेणोपलक्षितो ग्रन्थविशेष: तन्दुलवैचारिकमिति ।" पाक्षिकसूत्रवृत्ति, पत्र ६३ आवश्यकचूर्णि (सम्पा.) ऋषभदेव केशरीमल, श्वेताम्बर संस्था, रतलाम, १९२९, भाग २, पृ. २२४ निशीथचूर्णि भाग ४, पृ. २३५ दशवैकालिकचूर्णि, रतलाम, १९३३, पृ. ५ (अ) (ब) (स) तंदुलवेयालियपइण्णयं, उदयपुर, पृष्ठ ८ "तं एवं अद्धत्तेवीसं तंदुलवाहे भुंजतो दुविहं भणियं महरिसीहिं " तंदुलवेयालियपइण्णयं ८०, पृ. ३२ ववहारगणियदिट्ठ सुहुमं विनिच्छयगयं मुणेयव्वं । जइ एयं न वि एवं विसमा गणणा मुणेयव्वा ।। 473 Jain Education International ... For Private & Personal Use Only एयं गणियपमाणं www.jainelibrary.org
SR No.003218
Book TitleJinvani Special issue on Jain Agam April 2002
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2002
Total Pages544
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Canon, & Agam
File Size23 MB
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