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________________ वि० सं० ७७८-८३७ ] [ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास अन्त में आपने अपने अन्तिम समय में ३२ दिवस का अनशन किया । क्रमशः समाधि पूर्वक पांच परमेष्टी का स्मरण करते हुए स्वर्ग सिधार गये । आपश्री की कार्यावली का संप्तिप्त दिग्दर्शन निम्नप्रकारेण है । श्राचार्यदेव के ५६ वर्षों के शासन में मुमुक्षुत्रों की दीक्षाएं के गोलेच्छागौ० दीक्षाली " तप्तभट्ट " भूरि श्रेष्टि बप्पनाग १- मालपुरा २ - थंभोरी ३ उचकोट ४ - आलोर ५ -- खडोपुर ६ - रेणुकोट ७- भद्रेसर ८- भोजपुर ९ -- नंद १० - खाखोर ११ मधुपुरी १२ -- वर्द्धमानपुर १३ नागरण १४- थारापद्र १५ - सारंगपुर १६ - क कोलिया १७- खोखुला १८- सांदोली १९ - उताणी २०- दादावती २१ करणावती २२----गंधार २३ – स्तम्भननपुर २४ --- चन्द्रावती २५ - शिवपुरी २६- जोजावाड़ी २७ २८-६ "" Jain Educational "5 " भद्र " वलहा "" पारख प्रागवट प्राग्वट श्रीमाल चिंचट प्राग्वट प्राग्वट प्राग्वट श्रीमाल 15 29 "" "" " "" "" 35 ” डिडु ") "" "1 11 प्राग्वट श्री श्रीमाल प्राग्वट पाखर प्राग्वट विरहट "; - बसूदी -थुड़ी " पोकरणा " 21 लघुश्रेष्ट प्राग्वट श्रीमाल चोरडिया 333 के 19 "" 99 ,, घरमण ने सुरजण ने "1 सहरण ने धरण ने कानो ने "" 31 " जंबु ने लुबाने "" 11 काल्हरण देदा ने 35 ,, श्रदू ने 35 "" 33 12 19 "" 33 " हडपा ने गेंदो ने दोलालो ने "" भादा ने नागड ने 13 जाने पोलाक ने पेथा ने "" " 93 नारायण ने सोमाने बोत्था ने गोल्हा ने रूपा ने नोधण ने नागदेव से जावड़ ने समरा ने केहरा ने For Private & Personal Use Only 33 "3 "" 33 19 17 31 23 55 99 34 "} " " " "} "" 33 32 17 35 "3 "" "; 19 97 19 सूरीश्वरजी के शासन में दीक्षाएँ (y.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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