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________________ मि० सं० ५२०-५५८ ] [ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास ५ - श्री शत्रुंजय पर्वत की केदरा में भी बहुत गुफाएं थी और वहाँ पर श्रमण वर्ग तपश्चर्यादि विविध साधनों से आत्म कल्याण किये करते थे। पूजादि की पुस्तकों में भी अधिकार आता है६- इसी प्रकार वदर्भ देश की पर्वत श्रेणियों में भी बहुतसी गुफाए थी वर्तमान शोध खोज से बहुतसी गुफाए का पत्ता भी लगा है जैसे -- भामेर तालुक कि पीपलनेर जो एक समय बड़ा नगर था कि पास बहुतसी श्रम गुफाए विद्यमान है तथा पातलखेड़ा - चालीस गांव के पास भी पीतलखोर तथा चावड़ी नाम की गुफाएं हैं । ७- अजन्टा की गुफाएं - यहाँ की गुफाएं बहुत प्रसिद्ध है और इन गुफाएं के लिये कई विद्वानों ने बड़ी बड़ी पुस्तकें एवं लेख भी लिखे हैं वहाँ की गुफाओं में कई तो इ० सं० पूर्व एक दो शताब्दी की है शिल्प कला तथा चित्र कला बड़ी सुन्दर है इन गुफाओं ने इतिहास क्षेत्र पर अच्छा प्रकाश डाला है गुफाओं की संख्या ३०-३५ की कही जाति है । ८ - अंजनेरी की गुफाएं - यह स्थान नासिक से १४ मील तथा त्रिम्बक से भी १४ मील है यहाँ एक पहाड़ी भूमि से ४२९५ फुट ऊंची है वहाँ एक छोटी गुफा है जिसमें एक पद्मासन मूर्ति एवं नीचे की चट्टान में एक दूसरी गुफा है जिसके द्वार पर भ० पार्श्वनाथ की, खड़ी मूर्ति है । ९ – काइ की गुफाएं - यह स्थान तालुका ऐबला में है यहाँ दो पहाडियां साथ साथ मिली हुई है। भूमि से ३१४२ फुट ऊंची है तंकाइ की दक्षिण दिशा में जैनों की ७ गुफाएं है जिसमें बहुत उमदा नकशी का काम हुआ है । ( १ ) एक गुफा दो मंजिल की है स्तम्भ के नीचे द्वार पाल बने ( २ ) दूसरी गुफा भी दो मंजिल की है नीचे के खण्ड में बरमदा २६ - १२ का है द्वार पर छोटी छोटी जैन मूर्तियाँ है शिल्प कला की सुन्दरता दर्शनीय है ( ३ ) तीसरी गुफा एक मंजिल की है तथा कई जैन मूर्तियाँ भी है ( ४ ) चौथी गुफा भी एक मंजिल की है इसके स्तम्भ ३०-३० फूट के हैं (५) पांचवी गुफा में भी स्तम्भ है और जैन मूर्तियाँ भी है ( ६ ) छट्ठी गुफा भी एक मंजिल की है इसमें भी कई जैन मूर्तियाँ है ( ७ ) सातवीं गुफा छोटी है भन खण्ड हर के रूप में है खण्डित मूर्तियाँ भी है १० - चांदोड - की गुफाएं - यह स्थान नासिक से ३० मील तथा लसन गांव स्टेशन से चौदह मील हुए हैं है नगर पहाड़ी के नीचे बसा है पहाड़ी भूमि से ४५०० फूट उच्ची है पहाड़ी पर रेणुका देवी का मन्दिर है व कई जैन गुफाएं भी है नगर के किल्ला की चट्टान में जैन गुफाओं में जैन मूर्तियाँ भी है जिसमें मुख्य मूर्ति चन्द्रप्रभ जिनकी है । ११ - त्रिगल वाड़ी की गुफाएं - तालुका इगतपुरी से ६ मील पहाड़ी पर गांव बसा हुआ है यहाँ भी गुफाएं है जिसमें एक गुफा में कई जैन मूर्तियाँ है. १२ - नासिक शहर - यहाँ की पंचवटी से एक मील तपोवन हैं जहाँ एक गुफा है जिसमें भ० रामचन्द्र का मन्दिर है पश्चिम की ओर ६ मील पर गौवर्धन या गंगापुर को प्राचीन वस्ती है वहाँ जैन चमार लेन गुफा है दूसरी एक बौद्धों की भी गुफा है तथा पाडुसेन में नं० ११ की गुफा है जिसमें निलवर्ण भ० १००६ Jain Education International For Private & Personal Use Only जैन गुफाएँ www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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