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________________ तीर्थ माला संग्रह ७३ ढाल ८ मी.___एतो गहेलोछे गिरधारी रे एने स्युकहोई॥एदेशी। उत्तर पूरव विचले भागे देरी त्रण सोहावेरें । हरसी ने तेंथानिक फरसी वरसी समता भावेरे ॥१॥ एहने सेवोने एतो मेवो इण संसार, तुम्हे सेवो सहू नर नार ॥प्रा.॥ तेहमां धावच्चा सुत सेलग सूरी प्रमुख सुख दाईरे । ___ इणगिरी सिद्धो तेहनां पगलां वंदु सहस अढाई ॥२॥एहनो, पासें विहार उत्तंग विराजे रंग मंडप दिसि चारेरें। सेठ सिवा सोमजी इंकराव्यो खरची चित्त उदाररें ॥३॥एहनो. चार अनंता गुण प्रकटयाथी सरिखा चारें रूपरे। परमेश्वर शुभ समये थाप्या चार दिसाइं अनूप ॥४॥एहनो. तेश्री ऋषभ जिणेसर चौमुख बीजा जिन हेतालरें। ___एहनिमित्त मुझ सफलां होज्यो हूँ प्रणमुत्रिण कालरे ॥५॥एहनो. उपर चउमुख छब्बीस जिनस्यु देखी दुरित निकंदुरे । चौवीस वट्ठो एक मलीने चौपन प्रतिमा वंदु ॥६॥एहनो. सोहमां पूंडरीक स्वामी बेठा पूंडरीक वरणा राजरे। तस पदवं दी जोडे देहरी तेहमां थुभ विराजे ॥७॥एहनो. ऋषभ प्रभुने पुत्र नवाणु आठ भरत सुत संगेरे । एकसो आठ समय एक सिद्धा, प्रणमु तस पद रंगे ।।८॥एहनो. फरती भमती मांहे प्रतिमा एकसो बत्रीसरे। तेहमाँ चोवीस परिकर साथे एक सो साठि जगीस ॥६॥ पोलि बाहिर मरुदेवी टुके वेल बाइनोकी धोरे । चौमुख देहरा मांहे थापी नर भव लाहो ली धोरे ॥१०॥एहनो. पश्चिम ने पूरव सांहमां सोहें वंदू सहू नर नारी रे । ___ गज वरखंधे बेठा आई तीरथनां अधिकारी रे ॥११॥एहनो. संप्रति राय भुवन कराव्यु उत्तर सन्मुख सोहेरें। तेहमां अचिरा नंदन निरखी कहे अमृत मन मोहेरे ॥१२॥एहनो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003209
Book TitleTirth Mala Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherParshwawadi Ahor
Publication Year1973
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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