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________________ ६ ) स्थानों पर विचार करेंगे । इस सम्बन्ध में विज्ञपाठकों से हम अनुरोध करेंगे कि यदि इस स्थान - निश्चय में उन्हें कहीं भ्रान्ति अथवा विवादास्पद वस्तु प्रतीत हो तो उस की ओर हमारा ध्यान अवश्य आकृष्ट करें अन्त में अपने सांसारिक भतीजे श्रीपूर्णचन्द्र जी अबरोल इन्जीनियर, परमभक्त श्रीधनपतसिंहजी भंसाली, राष्ट्रसेवक श्री गुलाब चन्दजी जैन और श्री बाबू काशीनाथ जी सराक का धन्यवाद किये बिना नहीं रह सकते जिन्होने इस पुस्तिका के लिखने में किसी न किसी 沪 प्रकार से सहायता दी है । इस पुस्तक के प्रकाशन में लाला बाबूमल जैन ने अपने पूज्य लाला हजारीमल के श्रेयोऽर्थ सहायता दी है, और सनखतरा निवासी लाला धर्मचन्द्रजी के सुपुत्र अशोककुमारजी ने द्रव्य - सहायता द्वारा बहुत अधिक उदारता प्रदर्शित की है, इसलिये ये भी धन्यवाद के पात्र हैं । साथ ही श्री विद्यासागर विद्यालंकार को भी नहीं भूल सकता जिन्होंने इस पुस्तिका के लिखने और संवारने में यथाशक्ति सहायता प्रदान की है । वैशाख शुद्धि पूर्णिमा, चिन्तामणि पार्श्वनाथ मन्दिर, चीराखाना, दिल्ली | १६ मई, १६४६. धर्म संवत् २४. Jain Education International 1 विजयेन्द्रसूरि । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003205
Book TitleVeer Vihar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1947
Total Pages44
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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