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________________ ( ५१ ) दिया। हिरणी बड़े आनन्दपूर्वक बच्चे को प्यार करने लगी। इसी दश्य को देखकर सुबुक्तगीन को लगा कि यह हिरणी मुझे आशीर्वाद दे रही है। उसी रात सुबुक्तगीन ने एक स्वप्न देखा । स्वप्न में मानो हजरत मुहम्मद खुद उसके पास जाकर कह रहे है कि सुबुक्तगीन तूने आज हिरणी और असके बच्चे पर जो दया दिखाई है, इससे खुदा तेरे पर बहुत प्रसन्न हुए है, उनकी इच्छा से तू राजा होगा। जब तू राजा हो तब भी तू दुखियों पर उसी प्रकार दया करना । वैसा करने पर खुदा तुझ पर हमेशा खुश रहेंगे । वास्तव में कुछ दिनों बाद सुबुक्तगीन राजा हुआ । मुसलमानों में दया सम्बन्धी इतने प्रमाण मिलने के बावजूद भी क्या कारण है कि उनमें बकरे, भेड़िये, ऊंट आदि की कुर्बानी दी जाती है ? आइये जरा एक नजर इसकी मूल उत्पत्ति पर डालकर देखे तो हमें क्या रहस्य मालूम होता हैं इब्राहिम पैगम्बर जब इमान में आये तब उनके इमान की परीक्षा करने के लिए अल्लाहताला ने उनको कहा कि तुम अपनी प्यारी से प्यारी वस्तु की कुर्बानी दो | तो इब्राहीम पैगम्बर ने अपने इकलौते पुत्र इस्माइल को मारने के लिए तैयार किया और अपनी आँखों पर पट्टी बांधकर छुरी से जैसे ही उसे मारने लगते है, वैसे ही अल्लाहत ला की कुदरतसे लड़के के स्थान पर एक भेड़ (दुम्बा) आकर खड़ा हो गया । वह कट गया और लड़का बच गया । बाद में अल्लाहताला ने उसे दुम्बे को भी जिन्दा कर दिया । + 1 इस कथा से हमें यह नहीं समझ लेना चाहिये कि इब्राहिम पैगम्बर ने अपने लड़के के बदले दुम्बे को मारा तो दुम्बे अथवा बकरे की बलि देना उचित है । कथा का आशय तो यह है कि अल्लाहताला ने इब्राहिम पैगम्बर की परीक्षा लेने के लिए इस प्रकार का प्रयत्न किया था। अब क्या अल्लाहताला ने हुकम दिया है, जैसा कि इब्राहिम पैगम्बर को हुकम दिया था । यदि ऐसा है तो इब्राहिम पैगम्बर की तरह ही अपने पुत्र की बलि देने को तैयार होना चाहिए। बाद में अल्लाहताला को मर्जी उस लड़कों को हटाकर . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003202
Book TitleVibhinna Dharm Shastro me Ahimsa ka Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1995
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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