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________________ ( 105 ) का एक शिलालेख हैं, जो हमारे विचारों की पुष्टि करता है । उस शिलालेख का मूल पाठ इस प्रकार है1. द.॥ श्री हीरविजय सूरीश्वर गुरुभ्यो नमः।। स्वस्ति श्री मन्त्रट........ 2. शाके 1509 प्रवर्तमाने फाल्गुन शुक्ल द्वितीयां 2 (वी).... 3. अखिल प्रतिपक्षमापाल चक्रवालतमोजालरूचितर चरण कम (ल)........ प्रसरतिलकित प्रम्रीभूत भूपाल भाल प्रबलबल प्राक्रम कृत चतुर्विंग (विजय)......... न्यायक धुराधरण धुरीण दुरपासर मदिरादिव्यसन निराकरण प्रवीण.. ण गोचरीकृत प्राक्तन नल नरेन्द्र रामचन्द्र धुष्टिर विक्रमादित्य प्रमूति मही महे (न्द्र)::".... 7. कीति मौमुदी निस्तन्द्र चन्द्र श्री हीरविजय सूरीन्द्र चन्द्रः चातुरी चंचुर चतुर निरा निर्वच (नी)...... न प्रोदभूत प्रभूत तर दयार्द्रता परिगणि प्रणीतात्यीय समग्र देश प्रतिवर्ष पर्यषणा पर्व........ जन्म मास 40, रविवार 48, सम्बन्धित षडाधिकशतदिनावीध सर्वजन्तु जाता अभयदान फुर (मान)........... बली वर्ण्यमान प्रधान पीयूष........देदीप्यमान विशदतम निरपवाद शोवाद धर्मकृत्य........ 11. श्री अकबर विजयमान राज्ये उद्येह श्री वइराट नगरे । पांडुपुत्रीय विविधावदात श्रवण. 12. भायनेक गौरिक खानिनिधानी भूत समग्रसागरांबरे श्रीमाल ज्ञातीय राक्याणा गोत्रीय संनालहा........ 13. श्री देल्हीपुत्र सं. ईसर भार्या पुत्र स. रतनपाल भार्या मेदाई पुत्र स. देवदत्त भार्या धम्मपुत्र पातस........ 14. टोडरमल सबहुमान प्रदत्त सुबहुग्राम स्वाधिपत्याधिकारी कृत स्वप्रजापाल नानेक प्रकार सं. भारमल्ल भा........ 15. इन्द्रराज नम्ना प्रथम भार्या जयवन्ती द्वितीय भार्या दमा तत्पुत्र सं. चूहडमल्ल । स्व प्रथम लघु भातृ सं. अज (यराज)...... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003201
Book TitleMugal Samrato ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1991
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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