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________________ ४१ प्रस्तुतीकरण कलाकार ने उसे एक चाँदी का सिक्का दिया और उस प्रतिमा को एक हाथी पर लाद कर नगर में पहुँचाया गया । ___ एकदिन वह पहाड़ी आदमी उस नगर में किसी काम से आया। बाजार में घूमते हुए उसने एक दुकान के सामने बहुत-सी भीड़ जमा देखी । एक आदमी जोर-जोर से पुकार रहा था-"आइए ! संसार के एक महान् कलाकार की प्राचीनतम प्रतिमा देखिए ! इतिहास और कला का श्रेष्ठ नमूना है। प्रवेश शुल्क सिर्फ दो रुपया !" पहाड़ी आदमी दो रुपए देकर प्रतिमा देखने भीतर गया तो वह देख कर दंग रह गया-यह तो वही प्रतिमा है जिसे एक रुपये में बेची थी ! और अब उसे देखने मात्र के दो रुपये ! यह है प्रस्तुतीकरण की कला, जिसने आज विज्ञापन बाजी का रूप ले लिया है। किंतु इसका सदुपयोग भी किया जा सकता है Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003199
Book TitlePratidhwani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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