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________________ २८ समस्या की समस्या आज समस्याओं का युग है-चारों ओर समस्याएं खड़ी है, मनुष्य उनमें उलझ गया है वैसे ही, जैसे मौत से डरा हुआ पंछी किसी जाल में उलझ जाता है । पर, सचमुच ही क्या इतनी समस्याएं हैं जितनी हम सोच रहे हैं ? हम समस्या को निकट से देखते भी हैं, या केवल समस्या की कल्पना से ही स्वयं को दिग्मूढ़ बना रहे हैं ? मेरा विश्वास है, वास्तविक समस्याएं उतनी नहीं हैं, जितनी हमने कल्पना करली हैं । समस्याओं की भी समस्या यह है कि समस्या को निकट से, स्थिर विचार से देखने परखने की आदत नहीं है, किन्तु समस्या का माहोल खड़ा कर उसके कल्पित भय से ही हम अधिकांशतः व्यामूढ़ हुए जा रहे हैं। एक कहानी है । किसी राजा को एक बुद्धिमान मंत्री की आवश्यकता हुई । उसने राज्य के बुद्धिमान व्यक्तियों की परीक्षाएं ली। अनेक परीक्षाओं के बाद तीन व्यक्ति ८३ Jain Education Internationa For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003199
Book TitlePratidhwani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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